मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने की 'शाही लीची' की तारीफ, मुजफ्फरपुर के किसानों के खिले चेहरे
Man ki Baat प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 77 वें मन की बात में मुजफ्फरपुर की शाही लीची की जमकर तारीफ की। इसके बाद लीची उत्पादक किसानों के चेहरे खिल उठे। आने वाले दिनों में लीची प्रसंस्करण को मिलेगा फायदा सालों भर मिलेंगे उत्पाद।
मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन को भा गई मुजफ्फरपुर की शाही लीची। रविवार को 77 वें मन की बात में पीएम मोदी ने इसकी चर्चा करते हुए कहा कि इसके अनूठे स्वाद हैं। उसके बाद लीची उत्पादक किसानों मेें खुशी है। लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद ङ्क्षसह ने कहा कि उनकी पहल पर जीरो टैग मिला। अब पीएम मोदी की नजर है तो आने वाले दिनों में प्रसंस्करण को फायदा होगा। अगर प्रसंस्करण यूनिट मजबूत हो तो लीची के उत्पाद सालों भर बाजार में रहेंगे।
चीन से भारत के पूर्वोत्तर इलाके में आई लीची
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. विशाल नाथ कहते हैं कि 1770 के आसपास चीन से भारत के पूर्वोत्तर इलाके में लीची आई। वहां से कुछ सालों बाद असम, बंगाल और बिहार तक पहुंची। एक हेक्टेयर में बागवानी की जाती है तो औसतन 25 से 30 हजार रुपये खर्च आता है। 10 साल में एक हेक्टेयर का खर्च करीब तीन लाख रुपये तक आता है। पौधे की देखभाल अच्छी हो तो ये सालों तक फल देते हैं। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ.एचडी पांडेय ने बताया कि स्वाद में सबसे बेहतर होने की वजह से इसे शाही कहा जाता है। एक हेक्टेयर में प्रतिवर्ष एक से डेढ़ लाख तक मुनाफा होता है।
इन जगहों पर जाता है लीची
दिल्ली, अहमदाबाद, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, वाराणसी, जयपुर में मुजफ्फरपुर से लीची मुख्य रूप से भेजी जा रही है। विदेश में यूके, दुबई के साथ नेपाल में जाता है। बौद्धिक संपदा कानून के तहत जीआइ टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) के बाद मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची को नई पहचान मिली है। शाही लीची एक ब्रांड के रूप में देश की नहीं दुनिया में पहचान बना रही है।
जीआइ रजिस्ट्री कार्यालय ने खंगाला सौ वर्षों का इतिहास
शाही लीची का जीआइ नंबर 552 है। इसकी पहल बिहार लीची उत्पादक संघ ने 20 जून 2016 को की। जीआइ रजिस्ट्री कार्यालय चेन्नई में शाही लीची के जीआइ टैग के लिए आवेदन किया। संघ को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तकनीकी सहयोग किया। जीआइ टैग देने से पहले जीआइ रजिस्ट्री कार्यालय ने शाही लीची के सौ वर्षों का इतिहास खंगाला। इस बीच तीन सुनवाई भी हुई।
बिहार में 32 से 34 हजार हेक्टेयर में लीची का उत्पादन
आंकड़ों के अनुसार बिहार में 32 से 34 हजार हेक्टेयर में लीची का उत्पादन होता है। भारत में उत्पादित लीची का 40 फीसद उत्पादन बिहार में ही होता है। देश में 300 मीट्रिक टन से ज्यादा लीची का उत्पादन होता है। वहीं बिहार के कुल लीची उत्पादन में से 30-35 फीसद मुजफ्फरपुर में होता है। मुजफ्फरपुर में 12-13 हजार हेक्टेयर में लीची की पैदावार होती है। जिसमें शाही लीची सात से आठ हजार हेक्टेयर में है।
लीची की कुछ प्रमुख वेरायटी
भारत में शाही, अर्ली बेदाना, रोजसेंटड, चायना, कसबा, मंदराजी और लेट-बेदाना, लौगिया, कसैलिया, कलकतिया लीची की प्रमुख प्रजातियां हैं। शाही लीची को श्रेष्ठ माना जाता है। यह काफी रसीली होती है। गोलाकार होने के साथ इसमें बीज छोटा होता है। स्वाद में काफी मीठी होती है। इसमें खास सुगंध होता है।
पीएम के दिल में बसता है मुजफ्फरपुर, जिले का बढा मान व शाही लीची की शान
पीएम की शाही लीची की चर्चा पर खुशी जाहिर करते हुए पूर्व नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने स्वागत करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर की लीची की पहचान को मजबूती मिली है। इसका फायदा आने वाले दिनों में किसानों को होगा।
सांसद अजय निषाद मन की बात में शाही लीची की चर्चा करके लीची उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित किया। पीएम के प्रति आभार वयक्त करते हुए कहा कि पीएम मोदी के दिल में बसता है मुजफ्फरपुर। उन्होंने एनएच 527 सी, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल सहित अनेकों योजना यहां के नागरिकों को दिया। सांसद ने कहा कि अब यहां पर सब्जी व लीची के प्रसंस्ण यूनिट की पहल करेंगे
भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि मन बात में पीएम मोदी ने मुजफ्फरपुर का मान व शाही लीची का शान बढाया। आने वाले दिनो में शाही लीची की मांग दुनिया में होगी तो किसानों की हालत मजबूत होगा। इधर लीची उत्पादक किसान कृष्ण गोपाल , किसान अनिल त्रिपाठी, किसान विजय कुमार साह, बिन्देश्वर प्रसाद, राजीव रंजन ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि लीची को व्यापक बाजार मिलेगा।