बाढ़ के नैहर में दरके बांध को देखकर धड़के दिल
मुजफ्फरपुर कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉकडाउन ने कई योजनाओं पर विराम लगा दिया।
मुजफ्फरपुर : कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉकडाउन ने कई योजनाओं पर विराम लगा दिया। इसी में शामिल है बागमती बांध परियोजना व बाढ़ नियंत्रण विभाग का प्रयास। दरअसल कटरा प्रखंड को बाढ़ का नैहर कहा जाता है। यहां प्रतिवर्ष नियत समय पर बाढ़ का आना तय होता है। लेकिन सरकारी महकमा अपने नियमों की दुहाई देकर बच निकलने की कोशिश करता है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष फरवरी में होने वाली आपदा समिति की बैठक मई माह गुजरने के बाद भी आयोजित नहीं की गई। प्रकृति के नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष जून में बाढ़ का आना तय है, किन्तु अबतक एक भी क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत नहीं हुई। बागमती परियोजना बांध वर्षो से अधर में लटका है। लिहाजा बाढ़ की तबाही के गवाह प्रखंड के एक दर्जन गांवों का होना भी निश्चित है।
बाढ़ से बचाव को नहीं बनी रणनीति : प्राय: जून महीने के दूसरे सप्ताह में बाढ़ आती है। प्रखंड का अधिकांश भूभाग जलमग्न हो जाता है। इसके पहले बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर आपदा समिति की बैठक होती थी और बाढ़ से जानमाल की रक्षा के लिए रणनीति तैयार होती थी। लेकिन, इस बार परिस्थिति भिन्न है। अबतक न तो बैठक हुई है और न नीति निर्धारण। जबकि विगत वर्षो में प्रखंड के दर्जनों गांव में बाढ ने तबाही मचाई। इनमें कटरा, धनौर, शिवदासपुर, बसघटृा, बकुची, पतांरी, नवादा, अंदामा, सोनपुर, माधोपुर, बर्री, चंदौली, भवानीपुर, तेहवारा, बुधकारा आदि मुख्य गांव शामिल हैं। इसके पीछे टूटे तटबंधों का नहीं बनना मुख्य कारण है।
भूमि मुआवजा ने रोका निर्माण : बागमती बांध परियोजना का निर्माणाधीन बांध कटरा के नरकटिया स्थित स्विच गेट के पास जाकर स्थगित हो गया। इसका कारण है कि आगे के भूभाग का मुआवजा भूअर्जन विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया गया। इस बीच निर्माण कंपनी के ठीकेदारों ने बांध बनाने का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के सामने पुलिस बल भी बौने पड़ गए। ग्रामीणों का कहना था कि पहले हो भुगतान, फिर करें निर्माण। बागमती बांध इस विवाद की भेंट चढ़ गई। बाढ़ पूर्व समस्या के निदान के कोई आसार नहीं दिख रहे।
एक दशक से टूटा है तोखा सिंह बांध : प्रखंड में एक दर्जन जमींदारी बांध हैं जो गांवों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिमहत्वपूर्ण हैं। इनमें तेहवारा का तोखा सिंह बांध महत्वपूर्ण है जो एक दशक से टूटा पड़ा है। इसके खुले रहने से कटरा व गायघाट के दो दर्जन गांव जलप्लावित होते हैं। इसके अलावा दरभंगा क्षेत्र के आधा दर्जन गांव भी प्रभावित होते हैं। लेकिन आज भी यह बांध उद्धारक की बाट जोह रहा है। एक सप्ताह पूर्व ही ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस बांध की मरम्मत मनरेगा से कराने की स्वीकृति दे दी। किन्तु पीओ के पास इसकी जानकारी तक नहीं है। उन्होंने पहल करने का आश्वासन मात्र दिया। इसी तरह बकुची कॉलेज के पास, कृषि फॉर्म के पास व बरदवारा में क्षतिग्रस्त बांध दर्जनों गांव की तबाही का कारण है। गंगेया हाई स्कूल, हॉस्टल, नवादा ब्रह्म स्थान के पास टूटा बांध बड़ी आबादी के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन इनमें किसी की मरम्मत नहीं हुई है। इन बांधों की मरम्मत से पीओ ने हाथ खडे़ कर लिए हैं।
गत वर्ष दो माह तक आश्रय विहीन थे प्रभावित परिवार : पिछले वर्ष आई बाढ़ में सैकड़ों परिवारों ने बांध या ऊंचे टीलों पर शरण ले रखी थी। लगभग दो महीने तक वे आश्रय विहीन थे। सरकारी कैंप में खाना खाने को मजबूर थे। मवेशी के रखने का ठिकाना नहीं था। उनके लिए चारा का कोई स्रोत नहीं था। पीड़ितों का जायजा लेने राज्य सरकार के मंत्री श्याम रजक कटरा आए थे और हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया था।
सरकारी राहत को पीड़ितों ने लूट लिया था : सरकारी राहत को पीड़ितों ने मार्ग में ही लूट लिया था। इसके बावजूद सरकारी तंत्र में चेतना नहीं आई और आज भी उसी तरह की स्थिति बन रही है। विगत चार महीने में तीन सीओ बदल गए। एक सप्ताह पूर्व आए नए सीओ सुबोध कुमार ने बाढ़ को लेकर कोई बैठक तक नहीं की है।
मुआवजा मिलने के बाद ही बनने देंगे बांध : बाढ़ के स्मरण मात्र से ग्रामीण उद्वेलित हो उठते हैं। विस्थापित संघर्ष समिति के अध्यक्ष चंद्रकांत मिश्र ने बताया कि जबतक भूमि का मुआवजा नहीं मिलता, बांध नहीं बनने दिया जाएगा। सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रलोभन महज छलावा है। नवादा, बकुची आदि का मूल्यांकन सात साल पहले हो गया, अबतक भुगतान नहीं हुआ। बकुची के धर्मेंद्र कामती ने कहा कि इस बार भी हमलोग बाढ़ में नारकीय जीवन जीएंगे। सरकार हमारा हित नहीं चाहती। बसघटृा के पूर्व मुखिया विनोद दास ने कहा कि सरकारी मुलाजिम कभी जनता का हित नहीं चाहते। बांध निर्माण के समय आराम करती है। बकुची के अंबकेश्वर प्र सिंह ने सरकार को जनविरोधी बताया।
वर्जन : बागमती बांध निर्माण को लेकर विभाग सक्रिय है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि पहले भुगतान हो। इसके लिए कागजी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शीघ्र लोगों को भुगतान का नोटिस जाएगा और तभी काम होगा। इस वर्ष निर्माण पर संदेह है। - धर्मेंद्र कुमार, अभियंता
बाढ़ नियंत्रण, मुजफ्फरपुर प्रमंडल --क्षतिग्रस्त सभी बांधों की मरम्मत संभव नहीं है। तोखा सिंह बांध का निरीक्षण कर एस्टीमेट बनवाएंगे। संभव होगा तो मरम्मत कराई जाएगी। - आनंद प्रकाश, कार्यक्रम पदाधिकारी कटरा।