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ये सैंटा हैं जरा हट के : जरूरतमदों को ढूंढती रहती प्रशांत की नजरें

ये वो सैंटा क्‍लॉज हैं जो किसी के कष्ट में होने की सूचना मात्र पर सके घर पर पहुंच जाते हैं। फिर उसकी जरूरत के मुताबिक यथासाध्य उसकी सेवा करते हैं। सेवा को ही संस्कार बना चुके हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 24 Dec 2017 05:18 PM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 10:40 PM (IST)
ये सैंटा हैं जरा हट के : जरूरतमदों को ढूंढती रहती प्रशांत की नजरें
ये सैंटा हैं जरा हट के : जरूरतमदों को ढूंढती रहती प्रशांत की नजरें

मधुबनी [कपिलेश्वर साह]। कहा जाता है कि सैंटा क्‍लॉज क्रिसमस की पूर्व संध्या, यानि 24 दिसम्बर की शाम या देर रात के समय के दौरान अच्छे बच्चों के घरों में आकर उन्हें उपहार देता है। हम आपको बता रहे उस सैंटा क्‍लॉज के बारे में जो किसी के कष्ट में होने की सूचना मात्र पर सके घर पर पहुंच जाते हैं। इनका नाम है प्रशांत कुमार।

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प्रशांत प्रशांत कुमार जरूरतमंद के पास खुद पहुंच जाते हैं। फिर उसकी जरूरत के मुताबिक यथासाध्य उसकी सेवा करते हैं। आगे भी सेवा की जरूरत पडऩे पर आने का भरोसा देकर हौसला बढ़ाते हैं। दीन-हीनों की सेवा को ही अपना संस्कार बना चुके हैं। इनकी नजरें कहीं भी, किसी भी समय जरूरतमदों को ढूंढती रहती है। 'मानव सेवा' को 'माधव सेवा' मानकर पीडि़तों की सेवा कर रहे श्री सत्य साईं सेवा संगठन के जिलाध्यक्ष प्रशांत शहर में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।

पीडि़तों के बीच सेवा कार्य में सहयोगियों संग जुटे रहते

इस वर्ष जुलाई में जिले में आई प्रलयंकारी बाढ़ के दौरान शहर से सटे डीएनवाइ कॉलेज पर शरण लिए करीब 50 से अधिक बाढ़ पीडि़तों के बीच कई दिनों तक इन्होंने सेवा कार्य जारी रखा था। बाढ़ पीडि़तों में शामिल दो गर्भवती महिलाओं की सेवा का खास ख्याल रखा था। इतना ही नहीं, समय-समय पर सदर अस्पताल के रोगियों के बीच फल, दूध, बिस्कुट आदि का वितरण भी ये अपने सहयोगियों के साथ मिलकर करते हैं। ठंड के दिनों में फुटपाथ पर जीवन बसर कर रहे लोगों को गर्म कपड़ा के अलावा अलाव की सेवा प्रदान की जाती है। खास दिवसों पर पूर्व से निर्धारित जगहों पर तैयार भोजन का वितरण किया जाता है।

प्रशांत का कहना है कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। जरूरतमंदों की यथासंभव सेवा करने को अपने
सहयोगियों के साथ हमेशा तत्पर रहना ही पुनीत कर्तव्य समझता हूं।


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