प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा 2022 में मुजफ्फरपुर के सरकारी स्कूल के बच्चे कम क्यों?
मुजफ्फरपुर के सरकारी स्कूल के मात्र 8 विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन पर राज्य मुख्यालय ने जताई नाराजगी। प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में जिले के 736 विद्यार्थियों ने कराया रजिस्ट्रेशन। 20 जनवरी तक विद्यालयों के विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया।
मुजफ्फरपुर, जासं। प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में जिले के 736 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें सरकारी स्कूल के मात्र 8 विद्यार्थी ही शामिल हैं। इसे लेकर राज्य मुख्यालय ने नाराजगी जाहिर की है। गुणवत्ता शिक्षा संभाग प्रभारी सुजीत कुमार ने जिले के सभी प्राचार्य/ प्रधानाध्यापक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय से प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के लिए 20 जनवरी तक विद्यालयों के विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने को कहा है। इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूल के कक्षा नौ से 12वीं तक के बच्चे भाग ले सकते हैं। विद्यार्थियों के अलावा शिक्षकों एवं अभिभावकों को भी प्रधानमंत्री के संवादात्मक कार्यक्रम परीक्षा पर चर्चा- 2022 का में हिस्सा लेना है।
विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों का चयन 21 दिसंबर 2021 से 20 जनवरी 2022 की अवधि में आयोजित आनलाइन क्रिएटिविटी राइङ्क्षटग कंपीटीशन के द्वारा रू4त्रश1 पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। पोर्टल पर की गई आनलाइन प्रविष्टियों के आधार पर एससीईआरटी द्वारा राज्य से 130 बेहतर प्रविष्टियों का चयन कर एनसीईआरटी, नई दिल्ली को मूल्यांकन हेतु अग्रसारित किया जाएगा। एनसीईआरटी नई दिल्ली द्वारा चयनित विद्यार्थियों शिक्षकों एवं अभिभावको को परीक्षा में चर्चा 2022 कार्यक्रम में प्रधानमंत्र के अपने प्रश्नों को रखने एवं संवाद करने का अवसर मिलेगा।
कोरोना जांच के नाम पर अब नहीं रूकेगा इलाज
मुजफ्फरपुर : कोरोना जांच के नाम पर किसी भी मरीज का इलाज नहीं रोका जाएगा। इमरजेंसी में आने वाले हर मरीज का इलाज शुरू होगा। उसके बाद यदि मरीज में कोरोना का लक्षण दिखता है तो जांच कराई जाएगी। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने सभी पीएचसी प्रभारी से बातचीत कर यह निर्देश दिया कि इलाज में किसी भी तरह से परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कई जगह से यह शिकायत आ रही है कि जांच के नाम पर इलाज नहीं किया जा रहा है। इस तरह की मानसिकता बिल्कुल गलत है। सरकार का गाइड लाइन भी है कि मरीज का इलाज पहले होना चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं का प्रसव, किसी भी तरह का आपरेशन व घायल मरीज के इलाज में का्ेताही नहीं होनी चाहिए। अभी मरीज का इलाज हर चिकित्सक कोरोना प्रोटोकाल के हिसाब से कर रहे हैं। खासकर मास्क लगाना उसके साथ कोरोना संक्रमित के इलाज के समय पीपी किट का उपयोग दूसरी लहर में किया गया। इस समय भी करना है। सीएस ने कहा कि वह प्रतिदिन इस बात की निगरानी खुद करेंगे कि कहीं कोरोना जांच के नाम पर इलाज को नहीं रोका जा सकता है। अभी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। लेकिन पिछली लहर वाला हाल नहीं है। जो मरीज मिल रहे उसमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग घर पर ही क्योर हो रहे है। बहुत कम लोग को अस्पताल में जाने के हालत बन रहे हंै। जो लोग अभी कोरोना वार्ड में इलाज करा रहे उसमें से अधिकांश को पहले से कोई न कोई गंभीर बीमारी है।