भगवती वंदना जगदंब अहिं अबलंब हमर, हे माई अहां बिनु आस केकर...के रचयिता प्रदीप का निधन
साहित्यिक व आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर। पुत्र रामकुमार झा ने बताया की प्रदीप का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव कैथवार में किया जाएगा।
दरभंगा, जेएनएन। मिथिलांचल में प्रचलित भगवती वंदना जगदंब अहिं अवलंब हमर, हे माई अहां बिनु आस केकर...के रचयिता प्रदीप का शनिवार की सुबह निधन हो गया। शहर के वार्ड 42 स्थित स्वयंप्रभा नगर में अपने आवास पर सुबह साढ़े छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना मिलते ही मिथिलांचल के साहित्यिक व आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर फैल दौड़ गई। इसके बाद उनके आवास स्वयंप्रभा निकुंज पर अंतिम दर्शन के लिए अनुयायियों का तांता लग गया।
37 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं
नगर विधायक संजय सरावगी ने उनके आवास पर पहुंच पुष्पांजलि अर्पित की। वे 85 वर्ष के थे। पांच वर्ष पूर्व उन्हें पैरालिसिस का अटैक हुआ था। उसके बाद से वे अपने आवास पर ही रह रहे थे। जहां वे त्रिशूलिनी भगवती की आराधना में अपना समय व्यतीत करते थे। मूल रूप से दरभंगा जिला के ही तारडीह प्रखंड के कैथवार गांव निवासी प्रदीप का जन्म 1936 में फाल्गुन कृष्ण पंचमी को हुआ था। इनके अनुयायी हज़ारों की संख्या में देश-विदेश में फैले हैं। उनके जन्म तिथि पर बड़ी संख्या में उनके शिष्य आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचते थे। अब तक प्रदीप की 37 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। भगवतगीता व दुर्गासप्तशती के मैथिली अनुवाद के अलावा 2010 में उनकी प्रकाशित रचना श्रीसीताअवतरण सम्पूर्ण महाकाव्य-तिरहुत स तिरुपति धरि काफी लोकप्रिय है। पुत्र रामकुमार झा ने बताया की प्रदीप का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव कैथवार में किया जाएगा।