माता जानकी संग अयोध्या के लिए निकले श्रीराम, जनकपुर में गूंजा- 'ए पहुना एही मिथिले में रहू ना...'
माता जानकी की विदाई करा अयोध्या के लिए निकले प्रभु श्रीराम। विदाई के वक्त राजा जनक और महारानी सुनयना की आंखों में आ गए आंसू।
जनकपुरधाम/रक्सौल [जेएनएन]। विवाहोत्सव के बाद माता जानकी को संग लेकर प्रभु श्रीराम जनकपुरधाम से मंगलवार की सुबह अयोध्या के लिए चल पड़े। भीगी पलकों से जनकपुर के निवासियों ने अयोध्या से आए बरातियों की विदाई दी। रक्सौल पहुंचने पर यहां के वासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान राम-जानकी की एक झलक पाने की बेचैनी भी दिखी।
सीताराम विवाहोत्सव रविवार को संपन्न हुआ था। विदाई के समय आज राजा जनक और महारानी सुनयना समेत जनकपुर वासियों की आंखों में आंसू थे। इससे पहले प्रभु श्रीराम अपने तीनों भाइयों सहित भ्रमण पर निकले थे। तब, लोगों ने आरती कर भव्य स्वागत किया था।
विदाई की बेला में गीत भी गाए गए। 'ए पहुना एही मिथिले में रहू ना...Óआदि गीतों के जरिए महिलाओं ने भगवान से अपना लगाव प्रकट किया। वहीं, दशरथ जी ने जनक जी को गले से लगाते कहा कि मैं मिथिला में हुए स्वागत का बखान के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। बराती जनकपुरधाम से महेन्द्र नगर, ढल्लकेवर, वर्दिवास, हरियोन, पथलैया, सिमरा, कलैया, वीरगंज, रक्सौल बॉर्डर होते भारतीय सीमा में पहुंचे। हर जगह स्वागत का क्रम जारी रहा। गोपालगंज, कुशीनगर और गोरखपुर के रास्ते बरात चार दिसंबर को अयोध्या पहुंचेगी।
श्री राम बरात का रक्सौल में भव्य स्वागत
जनकपुर से अयोध्या लौट रही भगवान श्रीराम की बरात का रक्सौल पहुंचने पर शहरवासियों ने भव्य स्वागत किया। श्रद्धा से भरे लोगों ने फूल बरसाए। आरती उतारी। जयकारे भी लगाए। लोगों ने बरात को सीमा शुल्क कार्यालय से लक्ष्मीपुर तक पहुंचाया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त दिखी।
28 नवंबर को जनकपुर पहुंची थी बरात
अयोध्या से चलकर भगवान राम की बरात विभिन्न शहरों से निकलती हुई 28 नवंबर को नेपाल के जनकपुर पहुंची थी, जिसका स्वागत नेपाल में पहुंचने पर उप प्रधानमंत्री ने किया था। वहीं, विवाह पंचमी के दिन नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने बरात का स्वागत किया। इसके बाद निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार के बीते एक दिसंबर को विवाह संपन्न हुआ।