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RTE : गरीबों के बच्चों का निजी स्कूल में पढ़ने का सपना रह सकता अधूरा, जानिए कहां फंस रहा पेच

RTE विगत आठ वर्षों से शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं दे रहे पैसे। 10 दिनों में पैसे नहीं मिले तो आरटीई में निजी स्कूल नहीं लेंगे नामांकन।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 07:58 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 07:58 AM (IST)
RTE : गरीबों के बच्चों का निजी स्कूल में पढ़ने का सपना रह सकता अधूरा, जानिए कहां फंस रहा पेच
RTE : गरीबों के बच्चों का निजी स्कूल में पढ़ने का सपना रह सकता अधूरा, जानिए कहां फंस रहा पेच

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे निजी स्कूल संचालक रविवार को मिठनपुरा स्थित इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल में एकजुट हुए। बैठक कर तिरहुत एसोसिएशन ऑफ अनएडेड स्कूल्स नाम से निजी स्कूल संचालकों का एक संगठन बनाया गया। अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। इस अवसर पर शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत विगत आठ वर्षों से पैसे नहीं मिलने का कड़ा विरोध किया गया। निर्णरू हुआ कि निजी स्कूल संचालकों का एक प्रतिनिधिमंडल एसोसिएशन के बैनर तले शीघ्र डीएम से मिलेगा। इनका कहना है कि 10 दिनों में पैसे नहीं मिले तो आरटीई के तहत वे नामांकन नहीं लेंगे। क्याेंकि वर्तमान स्थिति में जिस तरह का नुकसान संस्थान को उठाना पड़ रहा है ऐसे में और अधिक बोझ को बर्दाश्त कर पाना संभव नहीं है। 

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इन पदाधिकारियों का हुआ चुनाव

तिरहुत एसोसिएशन ऑफ अनएडेड स्कूल्स के अध्यक्ष, डीएवी पब्लिक स्कूल के क्षेत्रीय निदेशक एसके झा को बनाया गया। ट्रांइडेंट स्कूल के निदेशक अरुण कुमार को उपाध्यक्ष, इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक सुमन कुमार को सचिव, मदर टेरेसा विद्यापीठ के निदेशक सतीश झा, किड्स कैंप के निदेशक को कोषाध्यक्ष, आनंद प्रेप स्कूल के निदेशक रणधीर कुमार को संयुक्त सचिव, शेम्फोर्ड स्कूल के निदेशक रिचा शर्मा, प्रिसटाइन स्कूल के निदेशक शरत लाहोड़ी, डीएवी खबरा के प्राचार्य मनोज कुमार झा, नूनूवटी स्कूल, पारा माउंट स्कूल, किड्जी स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, विद्यांचल स्कूल के संचालकों को सदस्य मनोनीत किया गया।

स्कूल से गड़बड़ी कर नहीं भाग सकता कोई कर्मी

संगठन की ओर से रेड, येलो, ब्लू और ग्रीन वेबसाइट पेज तैयार किया गया है। इस साइट को काफी गोपनीय रखा जाएगा। इसे खोलने का अधिकार केवल स्कूल संचालक एवं प्रिंसिपल को होगा। शिक्षक व कर्मियों की गड़बड़ी रेड पेज, पैसा लेकर चंपत होने वाले स्वजनों को येलो पेज, घटिया सामग्री सप्लाई करने वालों को ब्लू पेज तथा ग्रीन पेज बच्चों के स्वजनों के लिए बनाया गया है।  


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