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मुजफ्फरपुर : सिकंदरपुर मुक्तिधाम में अब प्रदूषण मुक्त शवदाह, एक घंटे में पूरी होगी अंत्येष्टि

Muzaffarpur News मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर मुक्तिधाम में अंतिम यात्रा में शामिल लोगों को नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार एक घंटे में पूरी होगी अंत्येष्टि। चालीस लाख की लागत से स्थापित हो रहा लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 08:15 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 08:15 AM (IST)
मुजफ्फरपुर : सिकंदरपुर मुक्तिधाम में अब प्रदूषण मुक्त शवदाह, एक घंटे में पूरी होगी अंत्येष्टि
मुजफ्फरपुर : सिकंदरपुर मुक्तिधाम में अब प्रदूषण मुक्त शवदाह

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। अब शवदाह से न हवा प्रदूषित होगी और न ही नदी का पानी। लकड़ी की खपत भी नौ मन की जगह दो मन होगी। शवयात्रा में शामिल लोगों को दाह-संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के लिए घंटों रुकना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात दाह-संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार होगा। प्रदूषण मुक्त शवदाह की यह व्यवस्था सिकंदरपुर मुक्तिधाम में की जा रही है। काठमांडू के भष्मेश्वर घाट की तर्ज पर यहां चालीस लाख रुपये की लागत से लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र स्थापित किया गया है। इसका उद्घाटन तीन जनवरी को होगा। 

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मुक्तिधाम प्रबंधन कार्यकारिणी समिति के संयोजक डॉ. रमेश कुमार केजरीवाल कहते हैं कि बिहार में इस तरह का यह पहला शवदाह संयंत्र है जो प्रदूषण मुक्त है। हिन्दू रीति रिवाज से दाह संस्कार करने वाले विद्युत एवं गैस चालित संयंत्र पसंद नहीं करते लेकिन यह संयंत्र उनकी आस्था एवं विश्वास के अनुकूल है। इसकी विशेषता यह है कि शवदाह में नौ मन की जगह सिर्फ दो मन लकड़ी लगता है और समय भी चार-पांच घंटे की जगह एक घंटा। शवदाह के दौरान निकलने वाला दूषित हवा भी संयंत्र की मदद से शुद्ध हो जाता है और चिमनी की सहायता से सौ फीट ऊपर निकलता है। परंपरागत शवदाह के दौरान शव पूर्णतया जल नहीं पाता और अधजला शव, लकड़ी एवं राख को नदी में फेंक दिया जाता है। इससे नदी प्रदूषित होती है। इस संयंत्र से ऐसे हालात पैदा नहीं होंगे। इससे शवयात्रा में शामिल लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। डॉ. केजरीवाल ने बताया कि इस संयंत्र के अलावा मुक्तिधाम में गोयठा एवं हवन आधारित शवदाह गृह की व्यवस्था की जा रही है। 

डॉ. अरुण साह व डॉ. अजय कुमार का योगदान 

संयंत्र की स्थापना पर चालीस लाख रुपये खर्च किए गए हैं। सारा खर्च शहर के वरीय चिकित्सक डॉ. अरुण साह ने वहन किया है। जबकि जिस परिसर में इस संयंत्र को स्थापित किया गया है उसका जीर्णोद्धार एवं सुंदरीकरण डॉ. अजय कुमार ने अपने पुत्र अभिजीत की याद में कराया है। संयंत्र तीन जनवरी से चालू कर दिया जाएगा। 


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