अपराधी की चालाकी पर भारी पड़ा फेसबुक लाइक, सुराग मिला तो पुलिस ने की ये कार्रवाई
बिहार के मुजफ्फरपुर के चर्चित सत्येंद्र दुबे हत्याकांड का आराेपित रंजीत लंबे समय से फरार था। लेकिन, उसकी चालाकी पर एक फेसबुक लाइक भारी पड़ गई। मामला जानने के लिए पढ़ें खबर।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बिहार के मुजफ्फरपुर के ठेकेदार सत्येंद्र दुबे हत्याकांड में वर्षों से फरार आरोपित रंजीत झा के कोर्ट में सरेंडर के पीछे की कहानी दिलचस्प है। सोशल मीडिया इसमें मददगार बना। हत्याकांड में पुलिस हिरासत से फरार होने के बाद सालों भूमिगत रहे रंजीत के गले की फांस एक फेसबुक लाइक बन गई और पुलिस के हाथ उसके गिरेबान तक पहुंच ही गए। फिर, परिवार पर पड़े दबाव के कारण उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी रंजीत का पता लगाना
विदित हो कि इस हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट तक ने संज्ञान लिया था। आइजी व एसएसपी को सदेह हाजिर होना पड़ा था। उधर, रंजीत के परिजनों ने उसकी हत्या का आरोप पुलिस पर ही लगाते हुए एफआइआर दर्ज कर दिया था। ऐसे में पुलिस के लिए यह पता लगाने की चुनौती थी कि रंजीत जिंदा है या नहीं।
पुलिस दबाव में किया सरेंडर
रंजीत का कोई ट्रेस नहीं मिल रहा था। इसके बाद जिला पुलिस की टीम उसके रिश्तेदारों पर शिकंजा कसने लगी। पुलिस दो माह तक दिल्ली में कैंप करती रही। इसी दौरान रंजीत के एक फेसबुक लाइक से उसके जिंदा होने का प्रमाण मिला। फिर दर्जनों लोगों के मोबाइल व कई लोगों के फेसबुक एकाउंट को खंगालकर पुलिस ने रंजीत के रिश्तेदारों को जेल भेजा। पुलिस की दबिश देखकर रंजीत ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। मामले में रंजीत के पिता, बहनोई समेत अन्य परिजनों पर काजीमोहम्मदपुर थाने में एफआइआर दर्ज किया गया।
2006 में हुई ठेकेदार की हत्या
वर्ष 2006 में काजीमोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के पंखाटोली में ठेकेदार सत्येंद्र दुबे हत्याकांड को अंजाम दिया गया। इसके बाद से रंजीत झा फरार रहा। जमानत में भी फर्जी नाम-पता था। निचली अदालत के सजा के फैसले के खिलाफ रंजीत हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने सजा पर स्टे लगा दिया। तब ठेकेदार के परिजन सुप्रीम कोर्ट में अपील करने गए। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा।
समस्तीपुर पुलिस ने पकड़ा था
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रंजीत की गिरफ्तारी की कवायद शुरू की गई। दो साल पूर्व समस्तीपुर पुलिस के हत्थे चढ़ा। लेकिन, सिपाही को मारपीट कर हाजत से भाग निकला। इसके बाद रंजीत के परिजनों ने पुलिस पर ही कथित हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लंबे समय से परेशान थी।