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Muzaffarpur shelter home case : हत्या का साक्ष्य जुटाने के लिए खूब खाक छानी थी पुलिस और सीबीआइ

Muzaffarpur shelter home बालिका गृह परिसर व सिकंदरपुर श्मशान घाट में कराई गई खोदाई। बूढ़ी गंडक नदी में भी सीबीआइ ने चलाया तलाशी अभियान।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 12:47 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 12:47 PM (IST)
Muzaffarpur shelter home case : हत्या का साक्ष्य जुटाने के लिए खूब खाक छानी थी पुलिस और सीबीआइ
Muzaffarpur shelter home case : हत्या का साक्ष्य जुटाने के लिए खूब खाक छानी थी पुलिस और सीबीआइ

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों की हत्या के साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस से लेकर सीबीआइ ने खाक छानी। जहां पुलिस ने बालिका गृह परिसर तो सीबीआइ ने सिकंदरपुर श्मशान घाट परिसर के चिह्नित स्थान की खोदाई कराई। 21 जुलाई 2018 को बालिका गृह परिसर की खोदाई में जहां हत्या कर लाश दफन करने का कोई साक्ष्य नहीं मिला। तीन अक्टूबर 2018 को सिकंदरपुर श्मशान घाट की खोदाई में सीबीआइ को दो मानव कंकाल मिले थे। सीबीआइ को आशंका थी कि ये कंकाल बालिका गृह की लड़कियों के हैं।

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बूढ़ी गंडक नदी में भी उतरी थी सीबीआइ

ब्रजेश ठाकुर के नौकरों ने दावा किया कि लड़कियों की हत्या के बाद उनके शव को गंडक नदी में फेंक दिया गया। इस दावे की सच्चाई जानने के लिए सीबीआइ की टीम गोताखोरों व स्थानीय मछुआरों के साथ बूढ़ी गंडक नदी में उतरी। अखाड़ाघाट से शुरू हुई खोज नदी में आगे चार-पांच किलोमीटर तक चली। कई दिनों तक चले इस अभियान में भी सीबीआइ को कुछ नहीं मिला।

एसकेएमसीएच की खंगाली फाइलें

बालिका गृह की लड़कियों की हत्या को लेकर सीबीआइ अधिकारी नगर थाने से लेकर एसकेएमसीएच तक की दौड़ लगाते रहे। बालिका गृह की लड़कियों की मौत से संबंधित नगर थाने की फाइलों व एसकेएमसीएच में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को खंगाली गई। यह क्रम कई बार चला। लेकिन, यहां भी कुछ खास नहीं मिला।

तीन लड़कियों ने हत्या का किया था दावा

बालिका गृह की तीन लड़कियों ने अन्य लड़कियों की हत्या कर परिसर में दफन किए जाने का दावा पुलिस के समक्ष किया था। इस दावे की सच्चाई को जानने के लिए मामले की जांच कर रही महिला थाने की तत्कालीन थानाध्यक्ष कुमारी ज्योति ने कोर्ट के आदेश पर बालिका गृह परिसर की खोदाई कराई थी। जेसीबी से कराई गई खोदाई में कुछ नहीं मिला।

आरोपित मधु व विक्की के मुजफ्फरपुर कोर्ट में रहे अधिवक्ता प्रियरंंजन अनु ने कहा कि सीबीआइ अंधेरे में तीर चला रही थी। नवरुणा मामले में अपनी नाकामी को छुपाने का यह प्रयास था। 11 लड़कियों की हत्या के तथ्यहीन साक्ष्य के आधार सीबीआइ इस घटना को और व्यापक रूप देना चाह रही थी। यह सीबीआइ की बड़ी असफलता है।

आरोपित अश्विनी के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने कहा कि सीबीआइ दबाव में काम कर रही थी। जो घटना हुई ही नहीं उसमें फंसाने का प्रयास कर रही थी। सरकारी फाइलों के अनुसार जितनी लड़कियां बालिका गृह में रह रही थी उतनी ही बाहर आई। किसी की गुमशुदगी की बात नहीं थी। सीबीआइ की जांच गलत दिशा में जा रही थी। अब सब कुछ साफ हो गया।

आरोपित ब्रजेश ठाकुर के मुजफ्फरपुर कोर्ट में रहे अधिवक्ता कुमोद सहाय ने कहा कि डेढ़ साल पहले मुजफ्फरपुर के विशेष पॉक्सो कोर्ट में ब्रजेश ठाकुर की जमानत अर्जी पर उन्होंने बहस की थी। उन्हें यह जानकारी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ ने क्या हलफनामा दाखिल किया है।


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