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Muzaffarpur, Navaruna Murder Case: सीबीआइ की अर्जी पर 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

Muzaffarpur Navaruna Murder Case नवरुणा मामले को लेकर सीबीआइ की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में अब 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी। जांच पूरी करने के बाद अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने को लेकर सीबीआइ ने मांगी है दो माह की मोहलत।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 09:11 PM (IST)
Muzaffarpur, Navaruna Murder Case: सीबीआइ की अर्जी पर 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
फरवरी 2014 से इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur, Navaruna Murder Case: नवरुणा मामले को लेकर सीबीआइ की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में अब 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी। सीबीआइ ने अर्जी में इस मामले की जांच पूरी होने बात कही है और निचली अदालत में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो माह की मोहलत मांगी है। इससे पहले जांच पूरी करने को लेकर सीबीआइ  10 डेडलाइन ले चुकी है। 

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साढ़े छह साल से मामले की जांच कर रही सीबीआइ

सीबीआइ ने 14 फरवरी 2014 को मामला दर्ज किया था। 18 फरवरी को सीबीआइ पहली बार जांच के लिए नवरुणा के घर पहुंची थी। नवरुणा के अगवा होने के ढाई माह बाद उसके घर के पास नाले से मिले कंकाल की फॉरेंसिक व रसायनिक जांच कराई थी। नवरुणा के माता-पिता के डीएनए की जांच कराई गई। इसके आधार पर ही सीबीआइ ने कंकाल को नवरुणा का बताया था। सीबीआइ ने ही उसे मृत बताया था। इस मामले की गुत्थी सुलझाने को लेकर सीबीआइ 332 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। सुराग देने वाले को दस लाख इनाम की भी घोषणा की गई। 

अब सबकी निगाह सीबीआइ की अंतिम रिपोर्ट पर

जांच पूरी करने को लेकर साढ़े छह साल में सीबीआइ के डेडलाइन पर डेडलाइन लेने से लोगों में निराशा होने लगी थी। पिछले माह जब सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की और कहा कि उसने जांच पूरी कर ली है। उसे मुजफ्फरपुर के विशेष सीबीआइ कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो माह की जरूरत है। इस अर्जी के बाद लोगों की नजर सीबीआइ की अंतिम रिपोर्ट पर है। 

ये है मामला

18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना के जवाहरलाल रोड स्थित आवास से सोई अवस्था में नवरुणा को अगवा कर लिया गया। शुरू में इसकी जांच पुलिस ने की। इसके बाद सीआइडी को जांच सौंपी गई। दोनों जांच में नतीजा कुछ नहीं निकला। सरकार ने इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी। सीबीआइ ने एक वार्ड पार्षद सहित सात संदिग्ध आरोपितों को गिरफतार किया। हालांकि 90 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल नहीं करने से सभी को जमानत मिल गई। 


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