पितृ विसर्जनी अमावस्या 28 को, इसमें पितरों को इस तरह दी जाती है विदाई Muzaffarpur News
पितरों के निमित्त है विशेष पर्व। पितरों के लिए पिंडदान तर्पण व श्राद्ध आदि करके पा सकते पितृ ऋण से मुक्ति मिलेगी शांति।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या के नाम से भी जाना गया है। यह पितरों के निमित्त विशेष पर्व है, जिसमें उनके लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि करके व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्ति पा सकता है। जो व्यक्ति अपने पितरों के देहांत तिथि के अनुसार, पूर्व पंद्रह दिनों में शास्त्रोक्त विधि से श्राद्धकर्म नहीं कर पाए, वे इस तिथि को पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण व श्राद्धकर्म कर सकते हैं। इस बार यह 28 सितंबर, शनिवार को है।
बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक बताते हैं कि जब पितरों की देहावसान तिथि अज्ञात हो तो उनकी शांति के लिए पितृ विसर्जनी अमावस्या को श्राद्ध करने का नियम है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अपने सामथ्र्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए। किसी पंडित या जरूरतमंद गरीब को दान करने से आने वाले संकट टल जाते हैं।
पितृ विसर्जनी अमावस्या का महत्व
इस तिथि को धरती पर आए पितरों को याद कर उन्हें विदाई दी जाती है। अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद नहीं किया गया हो तो सिर्फ अमावस्या को ही उन्हें याद कर दान करने और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। मान्यता है कि पितृ अमावस्या के दिन दान करने से अमोघ फल मिलता है। साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
कैसे करें पितरों की विदाई
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं और अमावस्या के दिन उन्हें विदाई दी जाती है। इस दिन धरती पर आए सभी पितरों की विधिवत विदाई होती है और उनकी आत्मा की शांति के लिए उपाय किए जाते हैं। एक मान्यता यह भी है कि अगर पितर अपने परिजन की विदाई से प्रसन्न हुए तो अपने साथ उनकी सभी परेशानियां लेकर चले जाते हैं।
हमें चाहिए कि सुबह स्नान कर शुद्ध मन से भोजन बनाएं। ध्यान रहे कि भोजन पूरी तरह से सात्विक हो और इसमें लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाए। भोजन कराने और श्राद्ध का समय मध्याह्न काल होना चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्व गाय, कुत्ता, चींटी, कौआ और देवताओं के लिए भोजन निकाल दें। इसके बाद हवन करें। तब ब्राह्मण को भोजन कराएं। ब्राह्मण का तिलक कर श्रद्धापूर्वक दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद घर के सभी सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।