इस बार सोमवारी और नागपंचमी साथ-साथ, कालसर्प दोष की शांति के लिए करें नाग पूजा Muzaffarpur News
नाग पूजन करने से नागों के साथ ही भगवान आशुतोष की भी मिलती असीम कृपा। आज विषहर स्थान में जुटेंगे भक्त।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह सोमवार को मनाया जा रहा है। रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र बताते हैं कि श्रावण महीने में सूर्य कर्क राशिगत होता है। इस महीने का संबंध भगवान शिव से है और उनका आभूषण सर्प देवता हैं। इस दिन नाग पूजन से नागों के साथ ही भगवान आशुतोष की भी असीम कृपा प्राप्त हो जाती है। पुराणों में यक्ष, किन्नर और गंधर्वों के साथ नागों का भी वर्णन मिलता है।
ज्योतिषविद् आचार्य रितेश्वर दत्त शास्त्री उर्फ रत्नेश तिवारी बताते हैं कि इस बार बीस साल बाद ऐसा मौका आया है कि जब नाग पंचमी सावन मास के सोमवार को पड़ रहा है। यह काफी शुभ माना गया है। ऐसा इसलिए कि सोमवार भगवान शंकर को समर्पि त दिन है और नागों को भी उनका ही आभूषण माना गया है। यह दिन उनके लिए भी खास होता है, जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है। इस दिन नाग देवता का पूजन करने से दोष के प्रभाव कम होते हैं। कालसर्प दोष से पीडि़त व्यक्ति को हर रोज भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए।
करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
धर्मगुरु जीरोमाइल निवासी नीरज बाबू बताते हैं कि नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने का दिन है। इस दिन काल सर्प दोष की शांति के अंतर्गत राहु-केतु का जप, दान, हवन आदि उपयुक्त होता है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, यज्ञ, शिव सहस्त्रनाम का पाठ, गौ दान आदि करने से नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है।
नागपंचमी के अवसर पर सोमवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नाग पूजा के लिए लोगों की भीड़ रहेगी। बीबीगंज स्थित विषहर स्थान में पूजा को लेकर विशेष तैयारी की गई है। भक्तों के मुताबिक, यहां पूजा के लिए सुबह पांच बजे से ही लोगों का आना शुरू हो जाएगा, जो देर शाम तक जारी रहेगा। काफी भव्य मेला लगेगा। उधर, बेला चौक पर भी विषहर पूजा का आयोजन होगा। इधर, अखाड़ाघाट स्थित बाबा लक्ष्मेश्वर बैद्यनाथ महादेव मंदिर सहित कई शिवालयों में कालसर्प दोष निवारण के लिए महारुद्राभिषेक होगा।
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