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सूर्यग्रहण देखने की कोशिश करते दिखे लोग, बादल ने मजा किया किरकिरा, बंद रहे मंदिरों के दरवाजे

solar eclipse भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखाई दिया सूर्यग्रहण। बादल के कारण उत्तर बिहार के लोगों को हुई परेशानी। टीवी देखकर करना पड़ा संतोष।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 11:35 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 11:35 AM (IST)
सूर्यग्रहण  देखने की कोशिश करते दिखे लोग, बादल ने मजा किया किरकिरा, बंद रहे मंदिरों के दरवाजे
सूर्यग्रहण देखने की कोशिश करते दिखे लोग, बादल ने मजा किया किरकिरा, बंद रहे मंदिरों के दरवाजे

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। इस वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण यूं तो संपूर्ण भारत में दिखा, लेकिन बादल के कारण यह उत्तर बिहार में नहीं दिख सका। हालांकि सीतामढ़ी समेत कई जिलों में इससे देखने की कोशिश की जाती रही। मुजफ्फरपुर में भी सूर्यग्रहण के कारण सभी मंदिरों के कपाट सबुह आठ बजे ही बंद कर दिए गए थे। धार्मिक दृष्टि से भी ग्रहण काल में कई कार्यों को वर्जित माना जाता है।

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पंडितों के अनुसार, यह खंडग्रास सूर्यग्रहण था। जिसे वैज्ञानिक भाषा में वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहा जाता है। रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र और हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रवि झा बताते हैं कि भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण सुबह करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुआ और करीब साढ़े ग्यारह बजे तक रहा। सूर्यग्रहण के समाप्त होते ही लोग स्नान और दान के विधान को पूरा करने में जुट गए।  

बंद रहे मदिरों के पट

ग्रहण की शुरुआत सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुई, जो साढ़े ग्यारह बजे तक रहा। सूर्यग्रहण के दौरान लोगों ने खानपान से परहेज किया। बाबा गरीबनाथ मंदिर सहित विभिन्न शिवालय, क्लब रोड स्थित देवी मंदिर, मां बगलामुखी मंदिर, पुरानी धर्मशाला चौक स्थित मां महामाया संतोषी माता मंदिर, हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर व ब्रह्मपुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान सहित विभिन्न मंदिरों के पट बंद रहे। ग्रहण समाप्त होने के बाद लोगों ने स्नान-दान किए। स्नान करने के बाद भोजन ग्रहण किया। मालूम हो कि सूर्यग्रहण को लेकर बुधवार की रात साढ़े आठ बजे ही मंदिरों के पट बंद हो गए थे, जो गुरुवार को दोपहर बाद खोले गए। 


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