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पशुचारा के लिए यहां के लोग नाव से जाते नदी पार, हादसे में अक्सर चली जाती जान

मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत औराई प्रखंड के किसान हरा पशु चारा लाने के लिए बागमतीे नदी की धारा व उप धाराओं को नाव से पार करते हैं। ऐसे में कई बार नाव पलटने के हादसे हो चुके हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 04:51 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 04:51 PM (IST)
पशुचारा के लिए यहां के लोग नाव से जाते नदी पार, हादसे में अक्सर चली जाती जान
पशुचारा के लिए यहां के लोग नाव से जाते नदी पार, हादसे में अक्सर चली जाती जान

मुजफ्फरपुर, [शीतेश कुमार] । बागमतीे नदी की धारा व  उप धाराओं के कारण मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत औराई प्रखंड के लगभग एक लाख किसानों को पशु चारा के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है । खेती किसानी व पशु चारा के लिए यहां के किसान बागमती नदी की दक्षिणी व उत्तरी उपधारा को पारकर खेती करने या मवेशी के लिए हरा पशु चारा लाने के लिए जाते हैं। इसी क्रम में कई बार नाव डूब जाती है और लोग काल के गाल में समा जाते हैं। 

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हो चुके हैं कई हादसे

प्रत्येक वर्ष कई जगहों पर नाव डूबती है जिनको तैरने आता है वे लोग निकल जाते हैं। वहीं जिनको तैरने नहीं आता है  वे पानी में डूब जाते हैं। विगत 21 अगस्त को इसी तरह बेनीपुर के समीप बागमती नदी की दक्षिणी उपधारा में एक नाव पर 11 लोग सवार होकर पशु चारा के लिए जा रहे थे जहां बीच नदी में ही नाव डूब गई। जिसमें एक महिला व एक किशोरी की डूबने से मौत हो गई।  काफी मशक्कत के बाद गोताखोर छोटन सहनी व मनोज सहनी द्वारा  शव को खोज निकाला गया। इधर नौ सितंबर की सुबह अतरार घाट पर नाव डूब गई। हालांकि इस हादसे में सभी लोग बाल-बाल बच गए।

पांच दर्जन गांवों के लोग प्रभावित

बागमती नदी की दक्षिणी उपधारा पार होकर सरहंचिया, फतेहपुर बेरौना, मधुवन प्रताप, मटिहानी, बसंत, मिर्जापुर, बेनीपुर, महुआरा, अतरार, अमनौर, माधोपुर, महरौली, धारूपट्टी, महेशवारा, चैनपुर ,देवरा , धर्मपुर समेत कई गांवों के किसान हरा पशुचारा के लिए जाते हैं।

 इधर बागमती नदी की उत्तरी उपधारा होकर भरथुआ, शंकरपुर, किरतपुर, कल्याणपुर, घनश्यामपुर, मधुवन बेशी, अलिनगर, मलही बेशी, उसरी बेशी, हरपुर बेशी, नयागांव, औराई, बभनगामा, चहुंटा, अभिमानपुर, सिमरी, ससौली, रामपुर, धसना, सुंदरखौली, जोंकी, बसुआ, जगतपुर समेत कई गांवों के किसान हरा पशुचारा के लिए जान जोखिम मे डालकर जाते हैं।

महिलाओं की संख्या होती अधिक

हरा पशुचारा लाने के लिए निकले लोगों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं व युवतियों की संख्या अधिक रहती है। खेती-किसानी व पशुचारा लाने में भी महिलाएं पुरुषों के कंधे सें कंधा मिलाकर काम करती हैं।


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