Chaiti Chhath 2020: छठ में भक्तों की गुहार- कोरोना वाइरसवा से देसवा बचाइली हे छठी माई
उत्तर बिहार में छठ व्रतियों ने अपने गीतों के माध्यम से छठी मइया से कोरोना से बचाने की गुहार लगाई है। भक्तों की आस्था है कि छठी मइया से मांगी गई मन्नत पूरी होती है।
सीतामढ़ी, मुकेश कुमार 'अमन'। कोरोना वायरस के भय के बीच छठ पूजा हो रही है। उमंग और उत्साह थोड़ा कम जरूर हुआ है मगर पर्व के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं आई है। लोक आस्था इस वायरस पर निश्चित रूप से भारी पड़ रही है। छठी मईया की महिमा का गुणगान हो रहा है। कोरोना वायरस से बचाने की उनसे गुहार भी लगाई जा रही है। पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाए जाने वाले इस पर्व में कोरोना से बचाव की मिन्नतें की जा रही हैं।
छठ के पारंपरिक गीतों में कोरोना वायरस वाले गीत भी फिजां में खूब गूंज रहे हैं। ये ही गीत गुनगुनाते हुए छठ व्रतियों ने घरों में खरना और अर्घ्य के प्रसाद तैयार किए। खरना में छठी मईया को प्रथम अर्घ्य अर्पित करती हुईं रूपकला देवी ने विनती की-'ऐहो छठी माई हे कोरोना से बचाई, भइल परेशान लोगवा हर ली बलाई...!' कैलाशपुरी के वार्ड नंबर-9 की रहने रूपकला देवी 20 साल से छठ पूजा कर रही हैं। रुन्नीसैदपुर के गाढ़ा की किरण झा व डुमरा प्रखंड के लगमा गांव की रहने वाली शिक्षिका कुमारी वैदेही ने कुछ इस तरह छठी मईया को फरियाद लगाई-'चाइना से चलल बा कोरोना वाइरसवा, हे छठी मईया होई ना सहाय...!' घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत कर रही थीं। इस बार दुनिया को महामारी से बचाव की गुहार लगा रही हैं।
रुन्नीसैदपुर के धरहरवा गांव निवासी भोला शंकर प्रसाद की पत्नी विनी वर्मा बताती हैं कि उनको एक पुत्र है। पुत्र, सुहाग और घर-परिवार की रक्षा के लिए 15-16 वर्षों से व्रत कर रही थीं। इस बार कोरोना से बचाने के लिए व्रत कर रही हूं। डुमरा वार्ड नंबर-5 के सिद्धार्थ शंकर की पत्नी अर्चना गुप्ता को तीन बच्चे हैं। दो बेटियां प्रियाश्री गुप्ता व तनु श्री गुप्ता, एक पुत्र वैभव है। तीनों की रक्षा की गुहार के साथ छठी मईया से समस्त मानव जाति व जीव-जंतुओं को इस कोरोना वायरस से बचाव की प्रार्थना भी छठी मईया से कर रही हूं। छठ व्रतियों इस बात का पूरा विश्वास है कि छठी मईया उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगी तथा समस्त मानव जाति पर मंडरा रहे कोरोना वायरस का खतरा टल जाएगा।
सूर्योपासना से मरेंगे कोरोना के कीटाणु
एमआरडी हाईस्कूल, डुमरा के विज्ञान के शिक्षक नंदकिशोर जी का कहना है कि छठ पूजा में सूर्योपासना का महत्व है। सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भंडार है। मनुष्य सूर्य के जितने अधिक संपर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा। सूर्य की किरणें सीधे शरीर पर पहुंचती हैं, तो रोग के कीटाणु स्वत: मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता। सूर्य अपनी किरणों द्वारा अनेक प्रकार के आवश्यक तत्वों की वर्षा करता है और उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं। निश्चित रूप से कोरोना वायरस के प्रभाव से सूर्य की ये किरणें हमारी रक्षा करेंगी।
कोरोना के भय से घाट के बदले घरों पर पूजा
छठ घाटों पर इस बार कोरोना के भय से सार्वजनिक तौर पर पूजा नहीं हो रही। घरों पर कृत्रिम तालाब बनाकर छठी मईया को अर्घ्य अर्पण के साथ पूजा-अर्चना की जा रही है। लक्षमणा नदी के किनारे विभिन्न स्थानों, लक्ष्मणाा घाट, सीताघाट, डुमरा के कैलाशपुरी, परोरी, मस्जिद घाट, जानकी मंदिर परिसर, उर्विजा कुंड, पुनौरा स्थित सीता कुंड, माई राम के पोखर, वैदेही पोखर पर इस बार विरानगी छाई है। घर में ही पूजा हो रही है। रविवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व निराहार व्रत शुरू हुआ। सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को श्रद्धालुओं ने अर्घ्य अर्पित किया। मंगलवार को श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके इस महापर्व के अनुष्ठान का समापन करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।