पीसीआर से एक दिन में सौ मरीजों के सैंपल का बढ़ाया जा सकता आरएनए, जानिए अन्य विशेषताएं Muzaffarpur News
BRABU के वनस्पति विज्ञान विभाग के लैब में रखा है पीसीआर मशीन। दो बार में सौ सैंपल की बनाई जा सकती है सैकड़ों कॉपियां। विवि से पत्र मिलने पर सौंप दिया जाएगा मशीन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोरोना की जांच के लिए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के लैब में रखी गई पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) मशीन की स्थिति को देखने के लिए एसकेएमसीएच से तकनीशियन अमितेश कुमार पहुंचे। उन्होंने मशीन की स्थिति देखी। इसके संबंध में विभागाध्यक्ष से बातचीत की। विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव विमल ने बताया कि यदि इसकी जरूरत पड़ती है तो विवि की ओर से पत्र जारी होने के बाद मशीन एसकेएमसीएच को सौंप दिया जाएगा।
क्या है पीसीआर मशीन
कोरोना का वायरस इतना सूक्ष्म है कि आंख या यंत्र से भी नहीं दिखता। जांच के लिए मरीज से लिया गया सैंपल नष्ट नहीं हो इसके लिए उच्च तकनीक की मदद ली जाती है। यह मशीन इस कार्य को करने में सक्षम है। हालांकि, यह पिछले दो वर्षों से पूरी तरह बंद पड़ा है। ऐसे में यह कार्य करेगा या नहीं यह तकनीशियन ही बता पाएंगे। बता दें कि 2010 में यूजीसी के सैप प्रोजेक्ट के तहत बॉटनी विभाग ने इसकी खरीदारी की थी।
अन्य बीमारियों के सैंपल में आरएनए बढ़ाने में भी सहायक
पीसीआर मशीन कोरोना ही नहीं अन्य बीमारियां जिसमें आरएनए व डीएनए की संख्या बढ़ाने की जरूरत होती है। उनके लिए भी कारगर साबित होती है। हालांकि, वर्तमान में इसके अपग्रेडेड वर्जन आरटीपीसीआर से यह जांच की जा रही है।
एक बार में 60 सैंपल की क्षमता
एक बार में इस मशीन की मदद से 60 मरीजों के सैंपल को बढ़ाया जा सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें से यदि 10 सैंपल में गड़बड़ी भी होती है तो लगभग 50 सैंपल की सही जानकारी मिल सकती है। ऐसे ही दिनभर में दो बार यानी सौ सैंपल की जांच इसके माध्यम से की जा सकती है।