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संसाधन व सुविधाओं की किल्लत से पीएचसी की व्यवस्था चरमराई Muzaffarpur News

चार चिकित्सकों के भरोसे पौने दो लाख आबादी की देखभाल। तीन एएनएम के अलावा सभी तकनीकी पद रिक्त। आदेशपाल व सफाईकर्मी कार्यरत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 01:26 PM (IST)
संसाधन व सुविधाओं की किल्लत से पीएचसी की व्यवस्था चरमराई Muzaffarpur News
संसाधन व सुविधाओं की किल्लत से पीएचसी की व्यवस्था चरमराई Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। संसाधन व सुविधाओं की किल्लत के बीच बीमार का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मड़वन में कैसे होता होगा, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। एक ओर जर्जर भवन जो हल्की बारिश में ही रिसने लगता है। दूसरी ओर चिकित्सक व कर्मियों के आवास की सुविधा नहीं। कर्मियों की कमी के बीच पीएचसी की व्यवस्था आदेशपाल व सफाई कर्मी की मदद से चल रही है। सरकार पीएचसी को मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है।

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   पौने दो लाख की आबादी की देखभाल करने के लिए चार डॉक्टर कार्यरत हैं। इसमें दो नियमित तो दो संविदा पर बहाल हैं। उनका सहयोग तीन एएनएम कर रहीं हैं। यहां न फार्मासिस्ट हैं, न कंपाउंडर, न ओटी असिस्टेंट और न ही ड्रेसर। छह बेड वाले पीएचसी में किसी अधिकारी के आगमन पर ही बेड पर चादर बिछाई जाती है अन्यथा खुले बेड पर ही मरीजों का इलाज होता है। यही नहीं, पीएच्सी के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है। डस्टबिन होने के बावजूद गंदगी व टूटे-फूटे जर्जर सामानों से परिसर भरा पड़ा है।

  स्वच्छ जल तो भर्ती मरीजों के नसीब में ही नहीं। पानी की आपूर्ति के लिए लगा एकमात्र चापाकल महीनों से खराब पड़ा है, मगर इसे बनवाने की फुर्सत किसी को नहीं। ओपीडी में 125 से डेढ़ सौ मरीजों का प्रतिदिन इलाज के बाद इमरजेंसी की स्थिति भयावह हो जाती है जहां रेफर मरीजों की नियति बन जाती है। रात में तो स्थिति और भयावह हो जाती है, जब आदेशपाल ही सर्जन और फिजीशियन होते हैं।

  एक दर्जन से अधिक दवाएं उपलब्ध होने का दावा तो किया जाता है ,मगर सिप्रोफ्लाक्सासिन, सिफैक्जिम, पारासिटामोल, डाइक्लोफिनेक से ही यहां मरीजों का इलाज कर दिया जाता है। अगर डॉक्टर अन्य दवा लिखें तो उन्हें दुकान का सहारा लेना पड़ता है। पीएससी में जांच की तो व्यवस्था है, मगर एक्सरे के लिए मरीजों को प्राइवेट जांचघर जाना पड़ता है। प्रतिदिन लगभग 10 से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर मरीज पीएचसी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। फार्मासिस्ट के नहीं होने से दवा वितरण का कार्य पीएचसी में तैनात लिपिक व आदेशपाल ही करते हैं।

   आवासीय परिसर की कमी व डॉक्टरों के मुजफ्फरपुर से आने के कारण सप्ताह के दो-तीन दिनों को छोड़ अन्य रात बगैर डॉक्टर के ही पीएचसी संचालित होता है। ग्रामीण पासपत साह, इंदू देवी ,जलेश्वरी देवी, रामाधार सहनी, संतोष कुमार, मुन्नी देवी, सुबोध कुमार, राजकुमारी देवी, छोटू कुमार आदि बताते हैं कि पीएचसी में सर्दी-बुखार का इलाज ही संभव है।

  कफ सिरप नहीं रहने के कारण खांसी का इलाज पीएचसी में संभव नहीं। सड़क दुर्घटना में घायल होने या गंभीर बीमारी होने पर सीधे रेफर या प्राइवेट क्लीनिक का सहारा लेना पड़ता है। लोग बताते हैं कि पीएचसी से स्वस्थ होने की कल्पना ही बेमानी है।

एंबुलेंस महीनों से खराब

पीएचसी का इकलौता एंबुलेंस महीनों से खराब पड़ा है, मगर इसे ठीक कराने की न स्वास्थ्य प्रबंधक को चिंता है और न ही ठेकेदार को। फिलहाल एईएस के लिए आए एंबुलेंस से काम चलाना मजबूरी बन गई। इन सबके बीच ठेके पर बहाल सफाई कर्मी अस्पताल की बड़े मनोयोग से नियमित सफाई करते हैं। हालांकि अस्पताल का बाहरी परिसर पान, गुटखा व खैनी की थूक से लाल जरूर रहता है।

व्यवस्था सुधार को कई बार हुआ प्रयास

पीएचसी मड़वन की व्यवस्था यहां पहुंचे मरीजों को ही नहीं ,स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों को भी कचोटती है। इसे लेकर दर्जनों बार हंगामा ब बैठक हो चुकी है, मगर व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। पूर्व प्रमुख मो. मोहसिन द्वारा तो कई बार इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी किया गया। मगर दो-चार दिनों के बाद ही स्थिति जस की तस बनी रही।

   इसी तरह वर्तमान प्रमुख शबाना खातून द्वारा भी कई बार रात्रि में औचक निरीक्षण कर व पीएचसी प्रभारी के साथ बैठक कर व्यवस्था सुधार की कोशिश की गई। मगर सरकार की उदासीनता व अधिकारियों की मनमानी से व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। हर बार कर्मियों द्वारा आवासीय परिसर व चाहरदीवारी नहीं होने का रोना रोकर मामले पर पर्दा डाल दिया जाता है।

प्रकोप कम होते एईएस कक्ष हुए बंद

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मड़वन में एईएस रोगियों के लिए बना कक्ष, रोगियों की संख्या कम होते ही बंद हो गए। शुक्रवार की सुबह से दो बजे दोपहर तक उक्त कक्ष बंद रहा। इस बीच दोपहर बाद इसमें तैनात एएनएम दिखी। इस बीच अगर कोई एईएस से पीडि़त बच्चा पीएचसी पहुंचता तो उसका प्राथमिक उपचार कैसे होता , यह बंद कक्ष बयां कर रहा था।

एक एएनएम के छुट्टी पर रहने के कारण एईएस कक्षा पड़ा था खाली

मड़वन पीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक प्रशांत कश्यप ने कहा कि एक एएनएम के छुट्टी पर रहने के कारण एईएस कक्ष खाली पड़ा था। स्टाफ व चिकित्सक की कमी के कारण थोड़ी बहुत परेशानी होती है। मगर प्रतिनियुक्त डॉक्टर से ही किसी तरह काम लिया जाता है। आवासीय परिसर नहीं रहने से कभी-कभार रात में दिक्कत हो जाती है मगर उसे भी दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है।


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