हाथ की रेखाओं के कारण 'निराधार' हुआ युवक, अब भीख मांग कर रहा गुजारा
मुजफ्फरपुर जिले के सलहां गांव का रहने वाले एक दिव्यांग की दर्द भरी दास्तान है। दिव्यांगता की वजह से उसकी हथेली की रेखाएं घिस गई हैं, जिसकी वजह से उसका आधार कार्ड भी नहीं बन सकता।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। वह दिव्यांग है, चलना तो दूर खड़ा तक नहीं हो सकता। जमीन पर घिसट-घिसट कर चलने से उसके हाथों की रेखाएं मिट गई हैं। हाथों के पंजों व अंगुलियों पर गहरे व स्थायी जख्म हैं, इसके साथ ही धूमिल हो गई हैं सरकारी मदद मिलने की सारी आशाएं।
यह पीड़ा है प्रखंड क्षेत्र की सर्फुद्दीनपुर पंचायत के सलहां निवासी जामुन साह के 27 वर्षीय बेटे बेचन साह की। वह सिर से पांव तक दिव्यांग है। उसकी पीड़ा है कि उसे करीब डेढ़ वर्ष से पेंशन नहीं मिली। नौबत ये है कि एक-दूसरे पर आश्रित मां-बेटे गांव के ही आसपास लोगों से मांगकर पेट भरने को विवश हैं।
अंगुलियों के काम नहीं करने से नहीं बन रहा आधार कार्ड
विगत डेढ़ साल पहले तक उसे पेंशन मिलती थी। लेकिन, आधार कार्ड नहीं बनने के कारण उसे वंचित कर दिया गया। दिव्यांग की मां शिवकुमारी देवी बताती हैं कि बेटे की अंगुलियां काम नहीं करती हैं। इस कारण उसका आधार कार्ड नहीं बन पा रहा। कहा जाता है कि जब तक अंगुली काम नहीं करेगी, कार्ड नहीं बनेगा।
इधर, ब्लॉक में बाबू लोग कहते हैं कि पहले आधार कार्ड ले आओ, तब कुछ होगा। हम इतने सक्षम भी नहीं कि अधिकारियों के पास दौड़-धूप कर सकें। अब तो किसी तरह भीख मांग कर गुजर-बसर कर रहे हैं। वे बताती हैं कि पति की मौत लगभग 12 वर्ष पहले हो गई, तब से स्थिति और भी गंभीर है। घर के अलावा जगह-जमीन भी नहीं। अन्य सरकारी लाभ भी नहीं मिलता।
शिवकुमारी देवी की मानें तो एक बार जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार तक उनकी बात पहुंची थी, तब उन्होंने जांच कर पेंशन दिलवाने की बात कही थी। फिलहाल क्या हुआ, पता नहीं।
कहा-बीडीओ ने
ऐसे दिव्यांग लोगों के लिए अलग से व्यवस्था है। प्रखंड मुख्यालय पर विशेष जांच कर उनका आधार कार्ड बनवाया जाता है। अगर वे लोग आते हैं, निश्चय ही उनकी सहायता की जाएगी।
-सिद्धार्थ कुमार, बीडीओ
कहा-साइबर कैफे संचालक ने
ऐसे दिव्यांग लोगों का भी आधार कार्ड बनता है। इसके लिए इन जैसे लोगों का भौतिक सत्यापन किया जाता है। इसमें फिंगर प्रिंट की जरूरत नहीं होती। इसके लिए अलग से प्रक्रिया अपनाई जाती है।
-सुनील कुमार उर्फ भोला, साइबर कैफे संचालक