इस स्टेशन की दीवारें कहतीं जैव विविधता की कहानी, पर्यटकों को आकर्षित कर रही पेंटिंग्स West Champaran News
वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन पर बनाई गईं जंगली जानवरों व क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाती पेंटिंग्स। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रेलवे की पहल पर स्थानीय कलाकारों ने बनाए चित्र।
पश्चिम चंपारण [माधवेंद्र पांडेय]। इस स्टेशन की दीवारें बोलती प्रतीत होती हैं। हर दीवार पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में रहनेवाले जानवरों की पेंटिंग्स। जैव विविधता की कहानी दर्शाती। यह है मुजफ्फरपुर-गोरखपुर रेलखंड पर स्थित वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन। पर्यटकों को लुभाने के लिए रेलवे की योजना के तहत यह काम हुआ है। यहां आनेवाले यात्री पेंटिंग निहारे बिना नहीं रहते।
मदनपुर वन क्षेत्र में स्थित वाल्मीकिनगर रोड रेलवे स्टेशन से होकर प्रतिदिन दर्जनों ट्रेनें गुजरती हैं। यहां उतरकर पर्यटक बस से वाल्मीकिनगर जाते हैं। वीटीआर के दक्षिणी हिस्से के प्रवेशद्वार के रूप में पहचाने जानेवाले इस वन क्षेत्र की सीमा उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा जंगल से भी लगी है। यहां आनेवाले यात्रियों को वीटीआर की जैव विविधता और क्षेत्र की संस्कृति की जानकारी मिल सके, इसके लिए स्टेशन की दीवारों को पेंटिंग्स से सजाया गया है।
प्रवेशद्वार से लेकर भीतर की सभी दीवारों पर वीटीआर के जंगली जानवरों व पक्षियों की कलाकृतियां बनाई गई हैं। दहाड़ते बाघ, फुदकते खरगोश, पानी में बैठा गैंडा और विचरण करते हिरण के अलावा थारू जनजाति की जीवनशैली की पेंटिंग्स यात्रियों को आकर्षित करती हैं।
इस तरह आया विचार
दीवारों पर पेंटिंग बनाने का विचार आठ महीने पहले आया। उस समय तत्कालीन डीआरएम आरके जैन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी योजना बनाई। 25 स्थानीय कलाकारों ने इन चित्रों को बनाया। दो लाख रुपये से अधिक खर्च हुए।
जैव विविधता से भरपूर है वीटीआर
वन प्रमंडल दो के डीएफओ गौरव ओझा का कहना है कि वीटीआर जैव विविधता से भरपूर है। यहां कई प्रजातियों के हिरण, बाघ, हाथी, गैंडा, जंगली सूअर, बारहसिंघा, जंगली भैंसा, बंदर, लंगूर व मोर समेत अन्य जीव-जन्तु और वनस्पतियां पाई जाती हैं। वन विभाग ने पर्यटकों के लिए जंगल सफारी की व्यवस्था की है। वाल्मीकिनगर में साइकिल सफारी, जीप सफारी और हाथी सफारी की भी सुविधा है।
स्टेशन अधीक्षक कृष्णमोहन तिवारी का कहना है कि पर्यटकों को लुभाने के लिए इन पेंटिंग्स को बनाया गया है। इसका अच्छा असर पड़ रहा है। आनेवाले यात्री इसे जरूर देखते हैं। इससे उन्हें क्षेत्र की जानकारी मिल जाती है। इसके अलावा इस रेलखंड के वन क्षेत्र में जगह-जगह अंडरपास भी बनाए जा रहे, ताकि जानवर ट्रैक पर नहीं आ सकें।