धान की फसल पर अब रोगों का कहर, किसानों की उम्मीदों पर ग्रहण
हजारों हेक्टेयर में लगी फसल के बर्बाद होने की आशंका। पौधा संरक्षण विभाग की टीम ने मीनापुर पहुंच की जांच। सहायक निदेशक ने किसानों के लिए जारी की एडवायजरी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बाढ़ से बची धान की फसलों से लगी किसानों की उम्मीदों पर अब रोगों का कहर बरपने लगा है। लिहाजा किसानों की परेशानी बढ़ गई है। जिले के मीनापुर समेत विभिन्न इलाकों में धान की फसल पर जीवाणु का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके चलते हजारों हेक्टेयर में लगी फसलों के बर्बाद होने की आशंका बढ़ गई है।
फफूंद का भी प्रभाव दिख रहा
जीवाणुजनित बैक्ट्रियल लीफ स्ट्रीक (बीएलएस) और बैक्ट्रियल लीफ ब्लाइट (बीएलबी) के चलते धान की पत्ती और तना सूख रही है। कहीं-कहीं फफूंद का भी प्रभाव दिख रहा है। मामला सामने आने बाद एक्शन में आई पौधा संरक्षण विभाग की टीम ने मीनापुर प्रखंड के बेलाही लच्छी गांव पहुंच कर दर्जनों किसानों के हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल की जांच की। पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक राधे श्याम गुप्ता ने अजय कुमार, विनोद कुमार, रामजीत रजक, शिव शंकर कुमार, संजय गांधी, शशि कुमार रजक, अकींद्र कुमार, राम एकबाल राय समेत दर्जनों किसानों के खेतों में लगी धान की खड़ी फसल की जांच की।
कीट व्याधि और जीवाणु का प्रकोप
सर्वेक्षण में पाया गया कि फसलों पर कीट व्याधि और जीवाणु का प्रकोप है। 50 हेक्टेयर में 15-16 हेक्टेयर यानि 30 फीसद फसल पर बैक्ट्रिया का प्रभाव है। इसके चलते फसल सूख रही है। इस दौरान उन्होंने किसानों को इससे बचाव के उपायों की जानकारी दी। सहायक निदेशक ने बताया कि जांच में फसलों पर बीएलएस और बीएलबी का प्रकोप पाया गया है। अभी हवा में आद्रर्ता काफी है। तापमान भी बीएलएस व बीएलबी के फैलाव के अनुकूल है। इससे बचाव के लिए किसानों को उपाय बताए गए है।
बचाव को जारी की एडवाइजरी
रोगों से बचाव के लिए पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक राधे श्याम गुप्ता ने एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत किसानों को प्रतिरोधी प्रभेदों का चयन करने, बीज और बिचड़ों का उपचार, खेत-मेड़ को खर-पतवार से मुक्त करने व संतुलित मात्रा में पोषक तत्व का उपयोग करने की सलाह दी है। नाइट्रोजन का अधिक उपयोग नही करने और फसलों पर स्ट्रेप्टोसाइकलिन या एग्रोमाइसीन एक ग्राम को दस लीटर पानी में डालकर छिड़काव करने का निर्देश दिया है। तनासड़न की स्थिति में खेतों से जमा पानी निकाल कर पोटास का अधिक उपयोग करने व थायोफेनेटमिथाइल या एजाक्सीएस्ट्रोबीन तथा प्रोपीकोनिजोल का छिड़काव करने, तनाछिद्रक होने पर क्लोरोपायरिफॉस 20 फीसद या एसीफेट या प्रोफेनोफास का छिड़काव करने की सलाह दी है।