कुशल प्रबंधन के दम पर कोरोना के बाद की स्थिति को दे रहे मात, प्रवासियों को दे रहे रोजगार
बाहर से जो प्रवासी मजदूर आएं हैं उनको अपने शहर में रोजगार मिले इसके लिए वह प्रयासरत हैं। नई यूनिट में 40 से 50 मजदूरों को रोजगार मिलेगा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोराना ने एक नए युग की शुरुआत की है। कई तरह के उद्योगों पर संकट के बादल छाए हैं। बड़ी संख्या में रोजगार संकट की बात सामने आ रही है। लेकिन, इसके बाद भी अपनी हिम्मत व प्रबंधन के बल पर बिना रोक-टोक उत्पादन कर रहे हैं उद्यमी व लघु उद्योग भारती के प्रदेश महामंत्री शिवशंकर प्रसाद साहू। कोरोना संकट की बात करने पर उनके चेहरे का भाव थोड़ा बदलता है। वे भावुक हो जाते हैं। बताते हैं कि पहली बार कोरोना बीमारी का नाम सामने आया। मीडिया के माध्यम से विदेश में लोगों के मरने और देश में भी लॉकडाउन की बात सामने आने के बाद मन घबराया। अब क्या होगा? भय था कि अगर उद्योग बंद कर देंगे तो इसमें काम करने वाले मजदूरों का क्या होगा? कोरोना को लेकर सरकार की नई गाइडलाइन आने के बाद हिम्मत जुटाकर उत्पादन शुरू किया।
नए उद्योग की पहल
वह बताते हैं अभी उनकी दो यूनिटें काम कर रही हैं। एक में आटा, मैदा, बेसन, सूजी, दलिया का उत्पादन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी यूनिट में मुर्गी दाना का उत्पादन हो रहा है। पहली यूनिट बोचहां में तो दूसरी कांटी सदातपुर में है। अभी वहां पर 30 मजदूरों को रोजगार मिला है। लॉकडाउन से लेकर अब तक एक भी यूनिट बंद नहीं हुई। खुद को थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन काम करने वाले मजदूरों को कोई दिक्कत नहीं होने दी। दोनों यूनिटों में सुचारु रूप से उत्पादन चल रहा है।
पुत्र को दिल्ली से बुलाया वापस
उद्यमी शिवशंकर ने बताया कि बेटा पुष्कर राज एमबीए की पढ़ाई कर इन दिनों दिल्ली में नौकरी की तलाश कर रहा था। अचानक लॉकडाउन हो गया। इसके बाद उसको दिल्ली नहीं भेजा। संकल्प लिया कि अब जिस तरह का वातावरण पूरे देश व दुनिया का बन रहा है। उससे अपने घर में ही काम होना चाहिए। अब बेटे को भी यूनिट में लगाया है। आने वाले दिनों में खाद्य प्रसंस्करण की एक और यूनिट लगाने की कवायद शुरू है। कोशिश है कि बेला औद्योगिक क्षेत्र में यह लग जाए। बाहर से जो प्रवासी मजदूर आएं हैं उनको अपने शहर में रोजगार मिले इसके लिए वह प्रयासरत हैं। नई यूनिट में 40 से 50 मजदूरों को रोजगार मिलेगा।
इस तरह से हो रहा उत्पाद
- गेहूं से तैयार खाद्य पदार्थ का प्रतिदिन 25 से 30 टन उत्पादन हो रहा है।
- मुर्गी दाना का प्रतिदिन 100-150 टन उत्पादन हो रहा है।
- दोनों यूनिटों में 40 से 50 मजदूर काम कर रहे हैं।