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मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड उद्भेदन के एक साल पूरे, CBI अब तक खोज रही सुबूत

ठोस साक्ष्य के आधार पर सभी आरोपितों के खिलाफ दायर किए जा चुके चार्जशीट। 11 बच्चियों की हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी टीम। सभी 20 आरोपितों को भेजा जा चुका न्यायिक हिरासत में।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 10:56 PM (IST)
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड उद्भेदन के एक साल पूरे, CBI अब तक खोज रही सुबूत
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड उद्भेदन के एक साल पूरे, CBI अब तक खोज रही सुबूत

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह कांड के उद्भेदन के एक साल पूरे हो गए। मामले में अभी न्यायिक कार्रवाई चल रही है। सीबीआइ अब तक मामले में साक्ष्य जुटाने में जुटी है। पिछले साल 31 मई को यह घटना सामने आई थी। मामले में जांच दर जांच कई लोग हिरासत में लिए गए। जांच के घेरे में आए सरकार के एक मंत्री को पद गंवानी पड़ी। मुजफ्फरपुर की इस घटना से पटना-दिल्ली तक में सनसनी फैल गई थी। न सिर्फ विधानसभा बल्कि संसद तक में भी यह मामला गूंजा।

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  बहरहाल सीबीआइ की टीम दोषियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य जुटाने में लगी है। अभी हाल में सीबीआइ की टीम नगर थाना, बाल संरक्षण इकाई के साथ एसकेएमसीएच की फाइल खंगाली। कहा जा रहा कि मामले में जल्द ही सीबीआइ एक पूरक चार्जशीट भी दाखिल करने की तैयारी में है। इसमें उन 11 बच्चियों की हत्या के साक्ष्य को भी शामिल किया जा सकता है। 

दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट में चल रही सुनवाई

स्थानीय विशेष पॉक्सो कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के साकेत स्थित विशेष कोर्ट में मामला ट्रांसफर हो चुका है। मामले की सुनवाई नियमित हो रही है। पीडि़त बच्चियां गवाही की दौर से गुजर रही हैं। कांड में मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर समेत 20 आरोपित चार्जशीटेड हैं।

31 मई को हुआ था एफआइआर

समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने 31 मई को साहू रोड स्थित सेवा संकल्प और विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह मामले में महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कड़ी सुरक्षा में 46 बच्चियों को पटना, मधुबनी व मोकामा शिफ्ट कर दिया गया था।

टिस की रिपोर्ट से मची सनसनी 

फरवरी 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की संस्था 'कोशिश ने बालिका गृह पर अपनी सोशल ऑडिट रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंपी। बच्चियों के साथ अभद्र व्यवहार व यौन उत्पीडऩ की शिकायतें सामने आईं। 26 मई 2018 को टिस की रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग के निदेशक तक पहुंची।

जांच दर जांच हुई गिरफ्तारी 

तत्कालीन एसएसपी हरप्रीत कौर ने केस की आइओ के अलावा जांच में नगर डीएसपी समेत कई इंस्पेक्टर को लगाया। जांच में मिले साक्ष्य के आधार पर ब्रजेश ठाकुर व सात अन्य महिला कर्मियों को हिरासत में लिया गया। इन सभी को जेल भेजा गया।

26 जुलाई से जांच का जिम्मा सीबीआइ को

26 जुलाई 2018 से पूर्व तत्कालीन सीपीओ रवि रोशन व सीडब्ल्यूसी मेंबर विकास को जेल भेजा गया। जेल भेजे जाने वालों की संख्या आठ से दस हो गई। कांड में कई सफेदपोश के शामिल होने की चर्चा होने लगी। राज्य सरकार ने 26 जुलाई को केस सीबीआइ के हवाले कर दिया। 29 जुलाई को सीबीआइ ने पटना में केस दर्ज कर कांड की जांच शुरू की। सीबीआइ ने जांच का जिम्मा लेने के बाद तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी को सोनपुर से दबोचा।

  इसके बाद एक-एक कर ब्रजेश की करीबी मधु उर्फ साइस्ता परवीन, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष दिलीप वर्मा, मधु की सहयोगी विक्की समेत 10 आरोपितों को सीबीआइ ने विभिन्न जगहों से गिरफ्तार किया। अबतक इस मामले में कुल 20 आरोपित पकड़े जा चुके हैं। इनके विरुद्ध जांच भी जारी है।

श्मशान घाट से मिले मानव कंकाल

बच्चियों ने पुलिस को दिए बयान में कहा था बालिका गृह में उनके साथ गलत हुआ। विरोध करने पर कुछ की हत्या कर दी गई और परिसर में ही शव गाड़ दिया गया। इसके बाद परिसर की खुदाई कराई लेकिन इससे जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं मिला। फिर सीबीआइ की टीम ने बूढ़ी गंडक व सिकन्दरपुर श्मशान घाट में कई संदिग्ध स्थल खुदवाए। श्मशान घाट से सीबीआइ ने मानव कंकाल व कई टूटी हुई हड्डियां बरामद कीं।

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