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बिहार में इस दीपावली पर बांस से बनी झालर से जगमग होंगे घर, समस्तीपुर में तैयार हो रही झालर

समस्तीपुर के रोसड़ा में बांस की पतली पट्टी से बनाई जा रही रंगीन झालर 50 कलाकार निर्माण में जुटे दिल्ली और मुंबई से आई है मांग कलाकार सुनील कुमार राय के नेतृत्व में काम कर रहीं महिलाएं ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 11:14 AM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 12:15 PM (IST)
बिहार में इस दीपावली पर बांस से बनी झालर से जगमग होंगे घर, समस्तीपुर में तैयार हो रही झालर
बांस की पतली पट्टी से बनी झालर। (जागरण)

समस्तीपुर, रोसड़ा {शंभुनाथ चौधरी}। इस दीपावली बांस की बनीं रंग-बिरंगी झालर घरों को रोशन करेंगी। बांस की पतली पट्टी (कमाची) से बनी बल्बयुक्त रंग-बिरंगी गेंदनुमा आकृति रोशनी के साथ घरों को आकर्षक रूप देगी। इसकी खासियत यह है कि ये दिन में भी घरों की पारंपरिक शोभा बढ़ाती हैं। समस्तीपुर के रोसड़ा में बांस कला (वेणु शिल्पकला) से जुड़े कलाकार इस प्रकार की देसी झालर तैयार कर रहे हैं। इस साल अगस्त में सामान्य सुविधा केंद्र खुलने के बाद पहली बार इस तरह का निर्माण किया जा रहा है। इसका बेहतर कारोबार भी हो रहा है। दिल्ली और मुंबई से मांग आ रही है। इसकी पूर्ति के लिए संचालक सुनील कुमार राय के नेतृत्व में 50 वेणु कलाकार काम कर रहे हैं।

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10 हजार झालर बनाने का लक्ष्य 

सुनील बताते हैं कि बांस से बने पारंपरिक उत्पाद की विभिन्न शहरों में मांग हो रही है। दिल्ली, मुंबई आदि बड़े शहरों में बुकिंग के मुताबिक सप्लाई भेजी जा रही है। पूरा कारोबार आनलाइन तरीके से हो रहा है। सैंपल की तस्वीर व वीडियो वाट्सएप के माध्यम से भेजी गई थी, पसंद आने के बाद कुरियर व डाक से भेजी जा रही है। दीपावली तक 10 हजार झालर भेजी जाएंगी। अब तक 1500 से अधिक तैयार कर भेजी जा चुकी हैं। प्रतिदिन 50 से 60 कलाकारों द्वारा झालर तैयार की जा रही हैं।

50 लाख तक के कारोबार की उम्मीद 

एक झालर बनाने में बिजली का तार, होल्डर, प्लग एवं छोटे बल्ब तथा कमाची से बनी गेंदनुमा आकृति का इस्तेमाल किया जाता है। साढ़े छह मीटर बिजली के तार में 45 आकृतियों को पिरोकर एक झालर को तैयार किया जाता है। इसपर कुल 200 रुपये की लागत आती है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 500 रुपये है। एक कलाकार एक दिन में दो झालर तैयार कर लेता है। प्रति झालर उसे 300 की कमाई हो रही है। सुनील का कहना है कि इस साल 50 लाख तक के कारोबार की उम्मीद है।

घर बैठे हो रही कमाई 

सुविधा केंद्र में अधिकतर स्थानीय महिलाएं काम कर रही हैं। इन्हें घर बैठे रोजगार मिल गया है। करीब 10 दिन पहले इन्हें झालर बनाने की ट्रेनिंग दी गई थी। रोसड़ा की सुमन देवी व सिंपी कहती हैं कि सुबह नौ से शाम पांच बजे तक झालर बनाती हैं, इसलिए घर का काम भी प्रभावित नहीं होता है। यहां हर रोज 600 की कमाई भी हो जाती है।


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