खुले रहे कोर्ट, सुनवाई के स्थान पर मिली अगली तारीख, न्यायिक कार्यों से अलग रहे अधिवक्ता
बदला-बदला दिखा कचहरी परिसर का माहौल। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर सात सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं देश भर के अधिवक्ता।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर मंगलवार को अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहे। सुबह को अधिवक्ता कचहरी परिसर में जुटे और पदमार्च निकाला। इसके बाद बड़ी संख्या में अधिवक्ता पटना में आयोजित राजभवन मार्च के लिए निकल पड़े।
बढ़ी मुकदमे की तारीख
मंगलवार को मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय के सभी कोर्ट खुले रहे। न्यायाधीश भी बैठे और उनके सामने मुकदमे की फाइलें भी आईं, लेकिन वहां कोई अधिवक्ता नहीं पहुंचे। किसी केस की पैरवी नहीं की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से भी किसी कोर्ट में न तो अर्जी दाखिल की गई और न ही गवाहों को पेश किया गया। इससे मुकदमे की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी गई।
बदला-बदला दिखा कचहरी परिसर
अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से अपने को अलग रखने व बड़ी संख्या में पटना चले जाने से कचहरी परिसर का माहौल बदला-बदला दिखा। गहमा-गहमी कम रही। जो अधिवक्ता पटना नहीं जा सके थे, वे या तो परिसर में धूप सेंक रहे थे या अपनी सीट पर ही बैठे थे। वे पटना गए साथियों से पल-पल की खबरें ले रहे थे।
अधिवक्ताओं के आंदोलन की वजहें
जिला बार काउंसिल के महासचिव व स्टेट बार काउंसिल के सदस्य सचिदानंद सिंह ने बताया कि एक मार्च 2014 को गुजरात में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। इसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से दस सूत्री मांग पत्र पेश किया गया था। इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे।
तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगर वे प्रधानमंत्री बन गए तो अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा करेंगे। इस बीच लॉ कमीशन की रिपोर्ट आ गई। केंद्र सरकार ने अधिवक्ताओंं के अधिकारों में कटौती कर दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसमें राहत दी है।
मांगों को लेकर वित्तमंत्री से लेकर अन्य अधिकारियों से अधिवक्ताओं का शिष्टमंडल मिला, लेकिन निराशा ही मिली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से सात सूत्री मांगें रखी गई हैं। इसको पूरा करने के लिए चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके तहत मंगलवार को पटना में राजभवन मार्च का आयोजन किया गया था।