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पितरों को मोक्ष दिलानेवाली एकादशी व्रत 25 को, इन विधानों को अपनाना फलदायी

इस एकादशी को विधि-विधान से पूजा करना होगा फलदायी। आचार्य चंदन ने कहा कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए दिया था मोक्ष प्रदायिनी श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान को याद करते हुए व्रत का संकल्प करना चाहिए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 09:31 AM (IST)
पितरों को मोक्ष दिलानेवाली एकादशी व्रत 25 को, इन विधानों को अपनाना फलदायी
इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। फाइल फोटो

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व पितरों के मोक्ष दिलाने वाली एकादशी के रुप में भी माना जाता है। इस एकादशी को विधि-विधान से पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है। उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने कही।उन्होंने बताया कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान को याद करते हुए व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और पूजा स्थल पर जाकर भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजन करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसके साथ ही भगवान से किसी भी प्रकार की हुई गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दिन यानी की सुबह भी पहले दिन की तरह पूजन आदि संपन्न करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भेट और दक्षिणा दें। सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत का फल हजारों यज्ञों से भी अधिक है। निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते।

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मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए मोक्ष प्रदायिनी श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में अठारह अध्याय हैं। गीता के ग्यारहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को विश्वरूप के दर्शन का वर्णन किया गया है। इस अध्याय में बताया गया है कि अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण को संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त देखा। श्री कृष्ण में ही अर्जुन ने भगवान शिव, ब्रह्मा एवं जीवन मृत्यु के चक्र को भी देखा। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के अनुसार माना गया है कि इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है और पितरों को सद्गति मिलती है। इस व्रत की केवल कथा सुनने से ही हजारों यज्ञ का फल मिलता है। 


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