अब वर्मी बेड के निर्माण पर पाए 5 हजार का अनुदान
वर्मी बेड के निर्माण पर मिलने वाली अनुदान की राशि वित्तीय वर्ष 2018-19 में बढ़ गई है। विभाग हर बेड के निर्माण पर किसान को 5 हजार रुपये का अनुदान देगा। पहले प्रत्येक बेड पर 4 हजार रुपये मिलते थे। इसके साथ भुगतान की प्रक्रिया भी पूर्व से सरल की गई है।
मुजफ्फरपुर। वर्मी बेड के निर्माण पर मिलने वाली अनुदान की राशि वित्तीय वर्ष 2018-19 में बढ़ गई है। विभाग हर बेड के निर्माण पर किसान को 5 हजार रुपये का अनुदान देगा। पहले प्रत्येक बेड पर 4 हजार रुपये मिलते थे। इसके साथ भुगतान की प्रक्रिया भी पूर्व से सरल की गई है। अब बेड का निर्माण कराने के बाद कृषि कर्मी रिपोर्ट करेंगे, तदपरांत किसान के बैंक खाता में अनुदान राशि भेज दी जाएगी। पहले भुगतान के लिए फोटोग्राफी के साथ कई अन्य प्रकार के रसीद देने की बाध्यता थी। वर्मी बेडों के निर्माण से न सिर्फ किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता समाप्त होगी बल्कि हानिकारक रसायनों का दुष्प्रभाव भी समाप्त होगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष में बेड निर्माण के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। अगले 7 महीनों में सिर्फ बगहा प्रखंड में 440 वर्मी बेड बनेंगे। उल्लेखनीय है कि दो बेड से हर साल करीब 1 एकड़ खेत के लिए आवश्यक जैविक उर्वरक तैयार किया जा सकता है।
डेढ़ से दो महीने में हो जाता तैयार
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार वर्मी कंपोस्ट पोषण पदार्थो से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। इस उर्वरक में किसी प्रकार की बदबू नहीं होती। इससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता। यह कंपोस्ट डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाता है। यह कंपोस्ट नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश से भरपूर होता है। पहले अनुदान मद में मिलते थे 4 हजार
वर्मी बेड के निर्माण पर 5 हजार रुपये का अनुदान वर्तमान वित्तीय वर्ष से ही मिलेगा। जिन किसानों ने पूर्व में बेड बनवाया है उन्हें 4 हजार रुपये ही देय होंगे। कृषि कर्मियों ने बताया कि विभाग ने बीते वर्ष तक एक बेड के निर्माण की लागत 8 हजार रुपये आंकी थी। जो कि इस वित्तीय वर्ष में बढ़कर 10 हजार रुपये हो गई है। बेड निर्माण पर 50 फीसदी अनुदान देय है, सो अब जो किसान बेड बनवाएंगे उन्हें 5 हजार रुपये की अनुदान राशि मिलेगी। इन्हें दिया गया निर्देश
बगहा के बीएओ विनय कुमार ने बताया कि प्रखंड में 440 वर्मी बेड बनाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। प्रत्येक बेड पर 5 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। कृषि कर्मियों को व्यापक प्रचार प्रसार का निर्देश दिया गया है। ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सके।