अब जीपीएस आधारित स्मार्ट फोन से होगी बाघों की निगरानी
वीटीआर में बाघों की सुरक्षा को लेकर बनी विशेष रणनीति। 80 टीमें जीपीएस आधारित स्मार्ट फोन से वन क्षेत्र में रखेंगी नजर।
बगहा [सौरभ कुमार]। सूबे की इकलौती वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में बाघों की निगरानी अब मोबाइल फोन के जरिए होगी। जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) से बाघों की ट्रैङ्क्षकग और उनकी सुरक्षा के लिए गठित वन कर्मियों की टीम संबंधित क्षेत्र में मुस्तैद रहेगी। शुरुआती चरण में 80 टीमों के लिए इतने ही स्मार्ट फोन खरीदे जाएंगे।
वीटीआर के वन प्रमंडल एक और दो के आठ वन क्षेत्रों में इस माह के दूसरे हफ्ते से मोबाइल फोन से निगरानी शुरू हो जाएगी। जीपीएस से लैस वनकर्मी बाघों के पगमार्क को इक_ा कर इसकी जानकारी मुख्यालय को देंगे। इससे 840.26 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल में बाघों की वास्तविक लोकेशन ट्रैक हो सकेगी। इस तकनीक से तेंदुए, गैंडा व हिरण समेत अन्य जानवरों को भी ट्रैक करना आसान हो जाएगा। फिलवक्त वीटीआर में बाघों की संख्या करीब दो दर्जन है। उनकी निगरानी के लिए जगह-जगह कैमरे भी लगाए गए हैं।
जंगल में पेड़ कटा तो मोबाइल पर अलर्ट
वीटीआर के जंगल में आए दिन पेड़ों की अवैध कटान की शिकायत मिलती रहती है। विभाग ने पेड़ों का डाटाबेस भी तैयार किया है। प्रतिदिन वनकर्मियों को पेड़ों की खैरियत से जुड़ी रिपोर्ट भी देनी होगी। पेड़ कटने की जानकारी वे तत्काल मोबाइल पर ही अधिकारियों को देंगे।
शिकारियों पर रहेगी नजर
मोबाइल फोन से वनकर्मियों की लापरवाही भी पकड़ में आएगी। साथ ही जंगल में घुसपैठ करने तथा डेरा डालने वाले शिकारियों व तस्करों की हर लोकेशन की जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए वनकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। वन क्षेत्र में वनकर्मियों की टीम 24 घंटे निगरानी करेगी। रेंजर व डीएफओ को रिपोर्ट भी मुहैया करानी है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो के डीएफओ सह उप निदेशक गौरव ओझा का कहना है कि जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए पहली बार वीटीआर प्रशासन ने यह कदम उठाया है।