AES : अब स्कूलों में प्रार्थना के साथ एईएस का पाठ पढ़ेंगे बच्चे, जानिए नई व्यवस्था के बारे में
AES दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के बाद हरकत में आया महकमा। जागरूकता ही बचाव के मूल मंत्र पर स्वास्थ्य विभाग करेगा काम।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गर्मी के साथ बच्चों के लिए कहर बनकर आने वाली एईएस यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से बचाव व जागरूकता के लिए जिला प्रशासन ने भी कमर कस ली है। आधी अधूरी तैयारी पर दैनिक जागरण के चार अप्रैल 2020 के अंक में खबर प्रकाशित होने के बाद पूरा महकमा हरकत में आ गया है।
जिलाधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने खुद अपने हाथ में कमान लेते हुए सुबह-शाम खैरियत रिपोर्ट लेनी शुरू कर दी है। सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रार्थना के साथ एईएस के लिए जागरूकता का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। डीएम ने नए सिरे से बीमारी में सहयोग के लिए स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों का समन्वय बनाते हुए जवाबदेही दी है। जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष की हैसियत से जिलाधिकारी ने मंगलवार को अलग-अलग विभाग के लिए आदेश पत्र जारी किया है।
रोकथाम मुख्य एजेंडा
डीएम व सीएस की ओर से प्रचार-प्रसार, जागरूकता व पीडि़त बच्चों की देखभाल पर पूरी नजर रखी जा रही है। कोरोना के साथ अब एईएस की रोकथाम को मुख्य एजेंडा मानकर स्वास्थ्य विभाग चल रहा है। पिछले साल 2019 में जिले में 431 बच्चे प्रभावित हुए थे। उसमें 111 की मौत हो गई और 320 क्योर होकर लौटे थे। वहीं इस साल अब तक दो बच्चे बीमार हुए हैं। इसमें सकरा के एक बच्चे की मौत हो गई है।
स्कूलों में जागरूकता का पाठ
एईएस में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हंै। इसलिए उनको प्रार्थना के साथ ही एईएस के प्रति जागरूकता का पाठ पढ़ाया जाएगा। जिला स्वास्थ्य समिति की इस व्यवस्था में शिक्षा विभाग पूरा सहयोग करेगा। एईएस से बचाव के लिए धूप में न निकले, हाथ साफ कर भोजन करने, खाली पेट न सोने, इधर-उधर गंदगी न फैलाने, खूब पानी पीने के प्रति उनको सजग किया जा रहा है। सरकारी व निजी सभी स्कूलों में यह व्यवस्था अनिवार्य की गई है।
जागरूकता पर अधिक बल
बच्चों को जागरूकता पाठ के बाद उनकी कॉपी में भी एईएस व जेई के लक्षण, क्या करें, क्या न करें व बचाव के बारे में लिखाया जाएगा। बच्चे उस जानकारी को अपने स्वजन को बताकर दूसरे दिन कॉपी में लिखाकर लाएंगे। सिविल सर्जन डॉ.एसपी ङ्क्षसह ने कहा कि जागरूकता ही बेहतर उपाय है। इससे सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए बच्चों व उनके स्वजन को जागरूक करने के लिए प्रार्थना के साथ जागरूकता का पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
बीमारी के मुख्य लक्षण
- तेज बुखार, चमकी और देखते ही देखते बच्चे के मुंह से झाग आने लगता है।
नियंत्रण के लिए बनी ये व्यवस्था
जिला स्तर पर एईएस समन्वय समिति बनाई गई है। इसके अध्यक्ष जिलाधिकारी और संयोजक सिविल सर्जन होंगे। इसके साथ 29 सदस्यीय समिति में मुख्य रूप से जिला परिषद अध्यक्ष, मेयर, नगर आयुक्त, उपविकास आयुक्त, अपर समाहर्ता आपदा, एसकेएमसीएच के अधीक्षक, एसीएमओ, एसकेएमसीएच शिशु विभागाध्यक्ष डॉ.गोपाल शंकर सहनी, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता पीएचईडी, केजरीवाल अस्पताल के प्रशासक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक व आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ.संजय कुमार सहित केयर इंडिया, यूनिसेफ व डब्ल्यूएचओ के एसएमओ शामिल हैं।
बच्चे को खाली पेट सोने नहीं दें
सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि एईएस से बचाव के लिए पूरी तैयारी है। हर स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज व दवाओं की व्यवस्था की गई है। आम लोगों से अपील है कि अपने बच्चे को खाली पेट सोने नहीं दें। बीमार हो तो सीधे सरकारी अस्पताल में लेकर आएं।