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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों को नोटिस, ये हैं रडार पर

सही तरीके से कचरा का प्रबंधन नहीं करने वाले मुजफ्फरपुर में 51 सहित उत्तर बिहार के 420 अस्पतालों को नोटिस। मेडिकल अपशिष्ट का जनन संग्रहण ग्रहण भंडारण आते नियम के दायरे में।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 12:33 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 12:33 PM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों को नोटिस, ये हैं रडार पर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों को नोटिस, ये हैं रडार पर

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी] बायो मेडिकल कचरा के निस्तारण को लेकर बने नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ अभियान चल रहा है। मुजफ्फरपुर में 51 सहित उत्तर बिहार के 420 अस्पतालों को नोटिस दिया गया है। ये ऐसे अस्पताल हैं जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं कर रहे तथा उनके यहां सही तरीके से कचरा का प्रबंधन नहीं हो रहा है।

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नियम के दायरे में आते ये

नियम उन सभी पर लागू होता है जो बायो मेडिकल अपशिष्ट का जनन, संग्रहण, ग्रहण, भंडारण, परिवहन, उपचार, डिस्पोजल या हैंडङ्क्षलग करते हैं। इनमें अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, पशु मेडिकल संस्थान, पशु घर, पैथोलॉजिकल प्रयोगशालां, ब्लड बैंक, आयुष अस्पताल, क्लीनिकल संस्थान, शोध एंव शैक्षणिक संस्थाएं, स्वास्थ्य कैंप, मेडिकल अथवा शल्य कैंप, टीकाकरण कैंप, रक्तदान कैंप, विद्यालयों के प्राथमिक उपचार कक्ष, विधि प्रयोगशाला एवं शोघ प्रयोगशाला शामिल हैं।

हर तरह से कचरे के लिए अलग-अलग रंंग

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि जहां पर मेडिकल कचरा निकल रहा वहां अलग-अलग रंगों के कूडादान रखने जरूरी हैं। लाल रंग का कूड़ादान माइक्रोबायोलॉजी, सॉयल्ड और सॉलिड वेस्ट के लिए, पीला कूड़ादान मानव अंग, पशु अंग, माइक्रोबायोलॉजी, सॉयल्ड वेस्ट, एक्सपायरी दवाएं, इंसिन्युरेटर एश, केमिकल वेस्ट सफेद पंक्चर प्रुफ कंटेनर में वेस्ट शार्प तथा ब्लू कार्ड बोर्ड बॉक्स में केवल कांच का सामन निस्तारण होना चाहिए। बिहार मे इंसीनेटर के जरिए ही कचरा का निष्पादन हो रहा है। जमीन के अंदर गाडऩे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

हर अस्पताल को मिला बार कोड

सामूहिक जीव चिकित्सा निपटारण केन्द्र बेला के वरीय प्रबंधक राजीव कुमार ने बताया कि नए नियम के अनुसार बायोमेडिकल कचरा का उठाव व निपटरा बार कोड व्यवस्था के तहत हो रहा है। हर थैले पर एक कोड होगा तो यह पहचान हो जाती है कि यह किस अस्पताल या संस्थान का कचरा है। इससे उठाव में पारददर्शिता आई है।

यह है कानून

अस्पतालों से निकलने वाली उपयोग की गई सुइयां, ग्लूकोज की बोतलें, एक्सपाइरी दवाएं, दवाओं के रैपर के साथ-साथ कई अन्य सड़ी गली वस्तुएं बायो मेडिकल वेस्ट कहलाती हैं। 2016 में बने कानून में कचरा निष्तारण मशीन लगाने के लिए 75 किलोमीटर का दायरा तय किया गया है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के निर्देश का उल्लंघन करने पर पांच साल की कारावास व अधिकतम एक लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है। सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम नियमित तौर पर निबंधित संस्थाओं का निरीक्षण करती है। नियम की अनदेखी करने वालों को नोटिस दिया जा रहा। सुधार नहीं होने पर मुकदमा किया जाएगा। 


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