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उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के 10 कालेजों से स्पष्टीकरण

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी 11वीं और 12वीं प्लान की राशि कालेजों ने खर्च कर दी लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र अबतक जमा नहीं किया। यूजीसी की ओर से कई रिमाइंडर भेजे जाने पर भी कालेजों ने संज्ञान नहीं लिया। चार अगस्त को उच्च न्यायालय पटना की ओर से ऐसे कालेजों पर शिकंजा कसने का आदेश जारी होने के बाद विश्वविद्यालय एक्शन के मूड में आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 02:08 AM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 02:08 AM (IST)
उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं 
देने वाले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के 10 कालेजों से स्पष्टीकरण
उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के 10 कालेजों से स्पष्टीकरण

मुजफ्फरपुर । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी 11वीं और 12वीं प्लान की राशि कालेजों ने खर्च कर दी, लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र अबतक जमा नहीं किया। यूजीसी की ओर से कई रिमाइंडर भेजे जाने पर भी कालेजों ने संज्ञान नहीं लिया। चार अगस्त को उच्च न्यायालय पटना की ओर से ऐसे कालेजों पर शिकंजा कसने का आदेश जारी होने के बाद विश्वविद्यालय एक्शन के मूड में आ गया है। सोमवार को विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा.आरके ठाकुर ने विश्वविद्यालय से संबद्ध 10 अंगीभूत और डिग्री कालेजों से स्पष्टीकरण पूछा। कहा कि जब 22 जुलाई को विश्वविद्यालय में बैठक में कहा गया था कि सभी कालेज खर्च की गई या लौटाई गई राशि का प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा दें। इसके बाद भी 10 कालेजों ने प्रमाणपत्र जमा नहीं किया है। उच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि 18 अगस्त उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले संस्थानों के खिलाफ विश्वविद्यालय स्तर से कार्रवाई नहीं की गई तो उन संस्थानों को दी गई राशि की वसूली कुलपति के वेतन से की जाएगी। वहीं कुलपति को न्यायालय में उपस्थित होकर इसकी जानकारी देनी पड़ेगी। इस आदेश के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। विश्वविद्यालय का कहना है कि कई कालेजों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भेज दिया है। इसके बाद भी उन कालेजों का नाम भी पेंडिग की सूची में है। विश्वविद्यालयों ने 1048 करोड़ का नहीं दिया हिसाब : यूजीसी के 11वें और 12वें प्लान की राशि से प्रदेश के 325 संस्थानों ने 1048 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया है। अकेले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर 67 करोड़ 88 लाख रुपये का हिसाब नहीं देने का आरोप है। उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद अब विश्वविद्यालय कार्रवाई के मूड में आ गया है। कहा गया है कि दो दिनों में उपयोगिता नहीं देने वाले संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उच्च न्यायालय को सूचना दी जाएगी। इन कालेजों ने नहीं दी है खर्च की गई राशि की उपयोगिता : अक्षयवट कालेज महुआ, वैशाली डा.जगन्नाथ मिश्रा कालेज, मुजफ्फरपुर डा.राम मनोहर लोहिया कालेज, मुजफ्फरपुर केसीटीसी कालेज, रक्सौल एलएन मिश्रा कालेज आफ बिजनेस मैनेजमेंट, मुजफ्फरपुर एमएसकेजी कालेज, अरेराज पं.उगम पांडेय कालेज, मोतिहारी आरएसएस महिला कालेज, सीतामढ़ी एसआरपीएस कालेज, जैंतपुर एसकेजे ला कालेज, मुजफ्फरपुर

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