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कॉलेज में शिक्षक नहीं, बेधड़क निकल रहीं डिग्रियां, दावा एमए तक की पढ़ाई का West Champaran News

कॉलेज में नामांकन के लिए मारा मारी होती है। जिले भर के छात्र इस कॉलेज में अपना नाम लिखाने के लिए प्रयास करते हैं। यह स्थिति पिछले दो दशक से कायम है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 09:04 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 09:04 AM (IST)
कॉलेज में शिक्षक नहीं, बेधड़क निकल रहीं डिग्रियां, दावा एमए तक की पढ़ाई का West Champaran News
कॉलेज में शिक्षक नहीं, बेधड़क निकल रहीं डिग्रियां, दावा एमए तक की पढ़ाई का West Champaran News

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। पश्चिम चंपारण जिले के सबसे पुराने महारानी जानकी कुंअर महाविद्यालय में हजारों छात्र-छात्राएं एकलव्य की तरह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कई तो डिग्री के बाद विविध क्षेत्रों में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। यहां के कई विभाग बिना शिक्षक के चल रहे हैं। छात्र है पर शिक्षक नहीं। फटाफट डिग्रियां निकल रही हैं। कॉलेज में इंटर से लेकर एमए तक की पढ़ाई का सरकारी दावा है। शहर के इस कॉलेज में नामांकन के लिए मारा मारी होती है।

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  जिले भर के छात्र इस कॉलेज में अपना नाम लिखाने के लिए प्रयास करते हैं। लेकिन नामांकन को लेकर मारामारी के बाद भी इस कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है। इस कॉलेज में शिक्षकों की भारी कमी छात्रों पर भारी पड़ी है। इस कॉलेज में लगभग 10 हजार छात्रों को पढ़ाने के लिए कुछ ही शिक्षक हैं। ऐसे में नाम लिखाने तथा परीक्षा देने का काम ही इस कॉलेज में होता है। नामांकन व निबंधन नियमित है। परीक्षाएं भी हो जाती है। छात्र-छात्राएं परीक्षा भी पास कर जाते है। मगर शिक्षकों से सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती।

  यहां नामांकित छात्र ट्यूशन व गेस पेपर की बदौलत ज्ञान अर्जन की कवायद में है। दीगर बात है कि अभिभावक दोहरे आर्थिक शोषण के शिकार हैं। कई विषयों में शिक्षक नहीं होने के बाद कॉलेज प्रबंधक छात्रों से ट्यूशन शुल्क भी वसूल करता है। जबकि, इन विषयों में क्लास कभी नहीं संचालित होती। यह स्थिति पिछले दो दशक से कायम है। कॉलेज 1955 से संचालित हो रहा है।

छात्रों की पहली पसंद है यह कॉलेज

प्रतिष्ठित कॉलेज की भव्य बिल्डिंग, चाक-चौबंद व्यवस्था छात्रों के आकर्षण का केंद्र रहता आया है। मैट्रिक पास कर छात्र बड़े उत्साह से यहां नामांकन के प्रयास में जुट जाते है। बाद में पता चलता है कि जिस विषय में नामांकन लिए है, उसमें पढ़ाने वाले कोई शिक्षक है ही नहीं। ऐसे में भविष्य के प्रति बच्चों की ङ्क्षचता लाजिमी है। जिले में एक यह एकमात्र कॉलेज है, जहां इंटर से स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। मजे की बात है कि स्नातकोत्तर तक के पढ़ाई वाले विषय में भी एक भी शिक्षक नहीं है।

छह विषयों में स्नातकोतर की शिक्षा

कॉलेज में हिन्दी, इतिहास, अंग्रेजी, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा की अनुमति है। जबकि यहां राजनीति शास्त्र, इतिहास, संस्कृत, उर्दू विभाग शिक्षक विहीन है। हिन्दी में पांच के बदले दो, अंग्रेजी में छह के बदले दो शिक्षक, इंटर से स्नोतकोत्तर तक की क्लास कैसे लेते होंगे यह अंदाजा लगाया जा सकता है। कई विषयों में शिक्षकों की घोर कमी है। यहां स्वीकृत पदों के बनिस्पत मात्र एक तिहाई से भी कम शिक्षक कार्यरत है।

कई विषयों में है शिक्षक का टोटा

कॉलेज में संस्कृत, राजनीतिशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, म्यूजिक, इतिहास आदि विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है। जबकि भौतिकी विभाग एक ही शिक्षक के बदौलत संचालित हो रहा है। वहीं अंग्रेजी में छह के बदले दो, हिन्दी में पांच के बदले दो, भौतिकी में पांच के जगह पर एक, रसायन में सात के जगह पर दो शिक्षक कार्यरत है। कॉलेज में करीब 12 हजार छात्र नामांकित है। ऐसे में उनकी पढ़ाई कैसे होती होगी सहज अंदाज लगाया जा सकता है।

छात्रों का कहना

इंटर की छात्र अनूप कुमार, रंजन कुमार, संजीव कुमार, आदित्य कुमार , स्नातक के छात्रा रागिनी कुमारी, नीतू कुमारी, स्नातकोत्तर के छात्र रमेश कुमार, जितेंद्र कुमार ने कहा कि नामांकन के समय उनसे नहीं बताया गया कि जिन विषयों में नामांकन ले रहे उन विषय में पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है। पढ़ाई नहीं होने के बाद भी कॉलेज प्रशासन ट्यूशन फी वसूल करता है, जो गैरवाजिब है।

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