विवि कैंपस में चोटिल हुए तो सीधे अस्पताल जाना ही एकमात्र विकल्प
विवि व एलएस कॉलेज में कहने के लिए हेल्थ सेंटर। बिना इलाज किए स्वास्थ्य सेवा मद में ली जा रही फीस। एलएस कॉलेज वाले केंद्र में अर्से से ताले लटक रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कैंपस में यदि किसी कारणवश आपको चोट लग जाती है तो सीधे सदर अस्पताल जाने के सिवा दूसरा विकल्प नहीं है। छात्रों की बदकिस्मती कहिए या अधिकारियों की लापरवाही, यहां प्राथमिक उपचार तक के लिए बैंडेज-पट्टी भी मयस्सर नहीं है। विश्वविद्यालय और एलएस कॉलेज कैंपस दोनों ही जगह स्वास्थ्य केंद्र हैं, मगर दिखावे के।
विश्वविद्यालय का स्वास्थ्य केंद्र खुला मिल भी जाए तो एलएस कॉलेज वाले केंद्र में अर्से से ताले लटक रहे हैं। छात्र इन दोनों जगहों पर बिना लाभ इलाज के पैसे भर रहे हैं। पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य लाभ के लिए जिम व खेलकूद के जरूरी इंतजाम पर जोर तो है मगर, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र में एक अंग्रेजी और एक होम्योपैथिक डॉक्टर भी बहाल हो जाते तो शायद बात बनती।
विवि ने वसूले दस लाख, इलाज नदारद
छात्र आनंद कुमार, बमबम कुमार, ठाकुर प्रिंस, विक्की कुमार, ऋतिक कुमार, रवि कुमार, आर्यण कुमार, रणवीर कुमार, शनि कुमार झा, कार्तिक कुमार, भोलू कुमार, अंशु कुमार आदि का कहना है कि छात्र बिना इलाज के दो साल से डॉक्टरों की फीस भर रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्र में वर्षों से ताले लटक रहे हैं। वर्ष 2016 में यहां की डॉक्टर करुणा ओझा सेवानिवृत्त हुईं। नए डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं हो पाई। छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में भी छात्रों को निजी क्लीनिकों में जाना पड़ता है।
दाखिले के समय लिए जाते हैं दस रुपये
विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बसंत कुमार सिद्धू का कहना है कि दाखिले के समय प्रत्येक छात्र से स्वास्थ्य सेवा के नाम पर दस रुपये लिए जाते हैं। यहां छात्रों की संख्या करीब पांच लाख है। करीब 50 हजार छात्र विश्वविद्यालय व मुजफ्फरपुर के आसपास के कॉलेजों में पढ़ते हैं। यानी एक साल में 50 हजार छात्रों से दस रुपये के हिसाब से पांच लाख और दो साल में दस लाख रुपये विवि के पास जमा होते हैं।
कई बीमारियों की दवाएं भी नहीं स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित वे छात्राएं हैं जो हॉस्टलों में रहती हैं। हालांकि, अभी हॉस्टल खाली है। छात्रसंघ की महासचिव स्वर्णिम चौहान के मुताबिक जहां तक मुझे मालूम है कि स्वास्थ्य केंद्र चालू रहने के समय भी इलाज और दवाइयों का अभाव बना रहता था। अब तो पूरी तरह से यह ठप पड़ा हुआ है।
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