अगले साल तक पूरे बिहार में कृषि फीडर : नीतीश
हर घर बिजली उपलब्ध कराने के बाद सरकार का अगला उद्देश्य पूरे बिहार में अलग कृषि फीडर बनाना है।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार का कृषि रोडमैप सिर्फ खेती के लिए नहीं है। इसमें पशुपालन, मत्स्य पालन, सिंचाई संसाधन, बिजली की उपलब्धता भी समाहित है। हर घर बिजली उपलब्ध कराने के बाद सरकार का अगला उद्देश्य पूरे बिहार में अलग कृषि फीडर बनाना है। इसके लिए अगले साल तक का समय निर्धारित किया गया है। वे डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर में आयोजित पहले दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पहले दीक्षा कार्यक्रम में राष्ट्रपति का पहुंचना बिहार के लिए गौरव की बात है। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन ङ्क्षचतनीय है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को उचित विकल्प तलाशना होगा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, बोरोलॉग इंस्टीट्यूट, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर भागलपुर के साथ इस पर शोध और मंथन करें, ताकि इस चुनौती से निपटा जा सके। नीतीश ने जलवायु परिवर्तन से भविष्य में होने वाले खतरों से अवगत कराते हुए कहा कि अब औसत वर्षा घटकर 800 मिलीलीटर तक पहुंच गई है। सूबे के 23 जिलों के 275 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा है। ऐसे में कृषि विकास के लिए वैकल्पिक क्रॉप सॉइल पर विचार करना जरूरी है।
शर्तें थोप यूपीए सरकार ने विकास किया अवरुद्ध : मुख्यमंत्री ने यूपीए सरकार पर बिहार की योजनाओं में शर्तें थोपकर उसे अवरुद्ध करने का आरोप लगाया। कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन ङ्क्षसह ने एक कार्यक्रम में बिहार की फसल उत्पादकता पर मुस्कुराते हुए तंज कंसा था। मगर अब बिहार की उत्पादकता हर फसल में अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा। धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर साढ़े बारह ङ्क्षक्वटल से बढ़कर साढ़े बाईस ङ्क्षक्वटल हो गया है। गेहूं का उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है।
नीतीश ने कहा कि दरअसल यूपीए सरकार में बैठे मंत्री विभिन्न तरह के बहाने बनाकर सदैव बिहार की परियोजनाओं के साथ अड़ंगेबाजी करते थे। मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय और पूसा में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव पर विभिन्न तरह की शर्तें लगाई जाती रहीं। राज्य सरकार ने सभी को पूरा किया। मगर उनके कार्यकाल में बात नहीं बनी। एनडीए की सरकार बनने के बाद इसका मार्ग प्रशस्त हुआ। अब केंद्रीय विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश की जाएगी। कृषि विषय में पठन-पाठन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने दो हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति तथा छह हजार पाठ्य सामग्री के लिए देना शुरू किया है।
सीएम ने पूसा के नामकरण और अतीत के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह संभवत: देश का पहला कृषि रिसर्च सेंटर है। 1970 में नए सिरे से इसकी स्थापना की गई। सीएम ने कहा कि घर-घर बिजली पहुंचाने का वादा पूरा किया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती है।