मुजफ्फरपुर यौन शोषण मामला पर मानवाधिकार आयोग गंभीर, सरकार से मांगी रिपोर्ट
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह कांड में यौन उत्पीड़न कांड का अब मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने सरकार (मुख्य सचिव व डीजीपी) से रिपोर्ट मांगी है।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में लड़कियों के यौन शोषण के मामले में पटना हाईकोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। मीडिया में आई खबरों के आधार पर आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को जांच कर दो सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं तीन अन्य बिंदुओं पर अलग से जांच को कहा है।
आयोग ने माना: मामला गंभीर
आयोग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया कि मीडिया की खबर अगर सही है तो यह गंभीर मामला है। एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह में रहने वाली 44 में से 29 लड़कियों के साथ यौन उत्पीडऩ होना मानवाधिकार का हनन है। वहीं एक लड़की की हत्या कर उसके शव को बालिका गृह परिसर में दफनाने की बात भी कही जा रही। परिसर की खोदाई कर मिट्टी को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया है।
दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
आयोग के अनुसार जहां लड़कियों की हिफाजत होनी चाहिए वहां उसके साथ दुष्कर्म हुआ। इसमें बालिका गृह के कर्मी व सरकारी अधिकारी की संलिप्तता सामने आ रही है। राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन पीडि़त लड़कियों के सम्मान व अधिकार को बचा पाने में असफल रहे। इसे देखते हुए पूरे मामले की जांच कर दो सप्ताह में रिपोर्ट दें।
इन बिंदुओं पर मांगा जवाब
- समाज कल्याण विभाग ने उक्त बालिका गृह को किस आधार पर स्वीकृति दी। इसकी मॉनीटरिंग के लिए कौन सी व्यवस्था की गई थी? अगर यहां मॉनीटरिंग सिस्टम था तो इस तरह की घटना कैसे हुई?
- पीडि़तों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति लड़कियां तो नहीं? अगर हैं तो पुलिस ने प्राथमिकी में एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम की धारा जोड़ी या नहीं?
- मीडिया की रिपोर्ट में कई अधिकारियों के शामिल होने की बात कही जा रही है। अगर यह सही है तो उसकी भी रिपोर्ट भेजी जाए।