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कोरोना संक्रमण की आशंका के बीच निभा रहे अपना कर्तव्य, इन कर्मयोगियों के लिए भी बजाइए ताली

कोरोना संक्रमण की आशंका के बीच चिकित्साकर्मियों पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों की तरह समाचार पत्र वितरक भी निभा रहे अपना कर्तव्य। डीएम ने कहा कि अखबार पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 07:52 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 07:52 PM (IST)
कोरोना संक्रमण की आशंका के बीच निभा रहे अपना कर्तव्य, इन कर्मयोगियों के लिए भी बजाइए ताली
कोरोना संक्रमण की आशंका के बीच निभा रहे अपना कर्तव्य, इन कर्मयोगियों के लिए भी बजाइए ताली

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जिले के घर-घर में अखबार पहुंचाने वाले कर्मयोगियों एवं उनके संघ के प्रतिनिधियों के साथ जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बातचीत की। उनकी समस्याओं को सुना और निराकरण की बात कही। डीएम ने कहा कि अखबार पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इसलिए सभी कर्मयोगी नित्य दिन की भांति अपने कार्यों को करते रहें। मास्क एवं ग्लब्स का प्रयोग करें।

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 उन्होंने कहा कि अखबारों के माध्यम से सरकार व प्रशासन द्वारा कोरोना के संदर्भ में उठाए गए कदम एवं किए जा रहे कार्यों की जानकारी आम-आवाम तक पहुंचती है। इसलिए इस विकट स्थिति में सभी कर्मयोगी बिना किसी भ्रम के निर्धारित नियमों का पालन करते हुए अपने कार्यों को अंजाम दें। बातचीत में त्रिलोकी कुमार, हरेंद्र पटेल, सुरेश यादव, विनोद कुमार कुशवाहा, सोनू झा, रामचंद्र चौधरी, ¨वदेश्वर पासवान समेत अन्य शामिल थे।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अपना कर्तव्य निभाने के लिए चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों की सराहना की। उनकी अपील पर 22 मार्च शाम 5 बजे सभी देशवासियों ने अपने घर की बालकनी पर आकर तालियां-थालियां, घंटे-घड़ियाल और शंख-ढोल बजाकर इन कर्मयोगियों के प्रति सम्मान और आभार जताया। ऐसे ही अभिनंदन के हकदार समाचार पत्र वितरक भी हैं जो किसी भी बाधा की परवाह किए बगैर हर ऋ तु में सूरज उगने से पहले आपके दरवाजे पर समाचार पत्र पहुंचाते हैं। आइए, आज इनके लिए ताली बजाते हैं।

 सुबह आंख खुलते ही चाय की प्याली के साथ अखबार की तलब किसे नहीं लगती। आपके पड़ोस, मोहल्ले, शहर, सूबे और देश में जो कुछ घटित हुआ, उसके विस्तृत एवं विश्वसनीय विवरण के लिए अखबार एकमात्र माध्यम है। आपको जो जानकारियां किसी अन्य माध्यम से प्राप्त हो चुकी होती हैं, उनकी प्रामाणिकता और पवित्रता आप अखबार से ही जांचते हैं। संभव है, किसी दिन किसी वजह से आपको चाय मिलने में भले ही 10-15 मिनट विलंब हो जाए, पर ऐसा कभी नहीं होता कि आप आंखें मलते घर का मुख्य द्वार खोलें तो वहां आपको अखबार न मिले। यह आसान नहीं होता। क्या ऐसे कर्मयोगियों के लिए ताली नहीं बजनी चाहिए? बेशक बजनी चाहिए।

 आपके लिए यह तय करना आसान नहीं है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के आग्रह के बावजूद आप अपने समाचार पत्र वितरक की सराहना कैसे करें। आशय यह है कि आपके मन का भाव किसी तरह उस कर्मयोगी तक जरूर पहुंच जाए ताकि वह विपरीत परिस्थिति में कर्तव्य निर्वहन का हौसला बरकरार रख सके। जब आप लॉकडाउन में हैं और कोरोना को लेकर तमाम संदेश, सवाल और जिज्ञासाएं आपके दिमाग में कुलबुला रही हैं तो इनके प्रामाणिक समाधान के लिए अखबार पढ़ना बेहद जरूरी है। तो जैसे भी हो, इन हालात में भी आपके पास अखबार पहुंचा रहे कर्मयोगियों के प्रति कृतज्ञता जरूर जताइए। इसका एक तरीका यह भी है कि आप उनका बिल जिस किसी माध्यम से संभव हो, अविलंब चुका दीजिए ताकि कर्तव्य पालन की चुनौती के बीच वे अपने परिवार के भरण-पोषण की चिंता से मुक्त रहें। विश्वास है कि आप इन कर्मयोगियों के लिए न सिर्फ ताली बजाएंगे बल्कि उनके कर्तव्य पालन के आर्थिक पक्ष के प्रति भी संवेदनशीलता दिखाएंगे।


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