India-Nepal Tension: बोले लोग, चीन के उकसावे पर कूद रहा नेपाल, इतनी जल्द भूल जाएगा अपनी हद, किसी ने नहीं सोचा
India-Nepal Tension कोरोना संकट से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए चीन रच रहा साजिश। नेपाल पूरी तरह चीन के शह पर कर रहा काम।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। India-Nepal Tension : पहले चीन और अब नेपाल की हरकत से भारत के लोगों में गुस्सा है। नक्शा विवाद और इसके बाद शुक्रवार को फायरिंग की घटना को यहां के लोग उकसावे की कार्रवाई मान रहे। हालांकि अब भी लोग ऐसा कह रहे कि इस करतूत के पीछे नेपाल से अधिक चीन का हाथ है। उसके उकसावे में पड़ कर ही नेपाल इस तरह का काम कर रहा है। जिस देश के साथ बेटी-रोटी का संबंध हो, वह इस तरह की हरकत करे, यह बात किसी को भी नहीं हजम हो रही। आइये जानते हैं कि लोगों ने क्या कहा-
हमलोगों काे इस विषय पर मधेश नेपाल से भी प्रतिक्रिया मिली है। यहां के Gopya Rhega फायरिंग की घटना से दुखी हैं। इसके साथ ही उन्होंने नेपाल में जारी भारत विरोध को चुनाव से जोड़ा है। कहते हैं कि यहां भी वोट लेने के लिए पहाड़ और मधेश की बात कही जाती है। उनका मानना है कि भारत सरकार को नेपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
पंच मंदिर रोड मोतिहारी से मोहित सम्राट फायरिंग में भारतीय की मौत से आक्रोशित हैं। कहते हैं कि भारत को नेपाल से लगने वाली अपनी सभी सीमा बंद कर लेनी चाहिए। इससे नेपाल का हुक्का- पानी बंद हो जाएगा।
मुजफ्फरपुर में अमर सिनेमा के पास से सपना अग्रवाल कहती हैं कि नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का संबंध रहा है। यह सब चाइना का खेल है। वह हम दोनों के बीच में दरार डालना चाह रहा है। यह कोरोना से ध्यान भटकाने की चीन की साजिश है।
काशीपुर, समस्तीपुर के राकेश रोशन भी कड़ा रुख अपनाने के पक्ष में हैं। कहते हैं कि भारत नेपाल को दी जाने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दे।
मुरियारो, उजियारपुर के बबलू मिश्रा कहते हैं कि भारत के करीबी नेपाल से रिश्ते में दरार की वजह भी चीन ही रहा है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार वैचारिक रूप से चीन से प्रभावित है। वहीं इसका दूसरा पक्ष यह है कि नेपाल में भी कोरोना का जबरदस्त कहर है। इसको रोकने में विफल होने पर जनता का ध्यान भटकाने के लिए नेपाल की मौजूदा सरकार ने विवाद को जन्म दिया है।
सोहांसी देवरिया, मुजफ्फरपुर के प्रेमशंकर कहते हैं कि अब नेपाली को भी भारत में प्रवेश के लिए वीजा की व्यवस्था कर देनी चाहिए। नेपालियों की जिंदगी भारत के सहारे चल रही है। बावजूद यह हरकत गलत है। दलसिंहसराय से महेंद्र कुमार कहते हैं कि निःसंदेह नेपाल चीन के बहकावे में आकर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है। भारत चीन के साथ सीमा विवाद में आक्रामक ढंग से अपनी बात नहीं रख पा रहा है। चीन भारत से सीधा युद्ध करने की जगह छल नीति के द्वारा भारत की जमीन को हथियाना चाह रहा है।
नेपाल का दुस्साहस भी चीनी की छल नीति और कूटनीति का ही हिस्सा है। भारत सरकार को चाहिए कि भारत-नेपाल सीमा विवाद में चीन की महती भूमिका को समझते हुए कूटनीतिक चाल चले। शक्ति सम्पन्न चीन की तरह भारत को भी कूटनीति लड़ाई लड़नी चाहिए। भारत चीन का बहुत बड़ा बाजार है और वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से चीन को दुनिया संदेह की नजरों से देख रही है। सरकार चाहे तो चीन को सबक सिखा सकती है।
मुजफ्फरपुर के केदार सिंह पटेल कहते हैं कि नेपाल जो कर रहा है उसके लिए भारत की जनता दोषी है। वहां वामपंथी सरकार बनाने में पूरा समर्थन नेपाल में रह रहे भारतीयों ने दिया था।
दुधपुरा, समस्तीपुर के संजय कुमार बबलू कहते हैं कि नेपाल ने भारत के साथ जो किया है वह निंदनीय। यह बात भी सत्य है कि नेपाल सरकार यह सोच नहीं रही है कि वह चीन और पाक के बहकावे में भारत से सबंध खराब कर रहा है|अब समय आ गया है कि भारत सरकार को नेपाल को उसकी हर का अहसास कराए। एक बार उससे बातचीत हो, यदि न समझे तो मुंहतोड़ जवाब दे।
महात्मा गांधी केंद्रीय विवि, मोतिहारी के राहुल कुमार कहते हैं कि नेपाल हमेशा से हमारा अच्छा पड़ोसी रहा है। वर्तमान घटना चीन की चाल है। नेपाल के लोगों के साथ भारत का बेटी-रोटी का रिश्ता रहा है। भारत को हर स्तर पर चीन के नापाक इरादे को नेपाल के सामने ला कर रख देना चाहिए। बातचीत से मसला हल कर लेना ही बेहतर है।
अारीजपुर, कांटी के अनिकेत का भी मानना है कि नेपाल काे उकसाया जा रहा। नेपाल की ओर से बयानबाज़ी और भारत विरोधी कार्यों को देख कर तो यही लग रहा की चीन भारत परेशान करने के लिए नेपाल का इस्तेमाल कर रहा है।
अखिलेश कुमार चौधरी कहते हैं कि भारत को चाहिए कि नेपाल से दो स्तरीय बात करे। पहले तो उसे समझाया जाए। नहीं माने तो उसे कह दिया जाए कि इसके बुरे अंजाम हो सकते हैं।
बीएड कॉलेज रोड, समस्तीपुर की खुशबू कुमारी कहती हैं कि अभी भारत-नेपाल के संबंध में जो कड़वाहट अाई है इसे केवल दो देशों के मध्य देखना गलत होगा। इसमें चीन की भूमिका को कहीं से नकारा नहीं जा सकता। भारत में चीनी उत्पाद का जो अघोषित बहिष्कार हो रहा है उससे वह बौखला गया है। इस दृष्टिकोण से नेपाल विवाद को देखा जा सकता है। इस पूरे विवाद में यह भी देखने की बात है कि आम नेपाली जनता आज भी भारत को अपना दूसरा घर समझती है। वहां भारत विरोध आम जन भावना नहीं है। अभी जो भी हो रहा है वह चीन के इशारे पर माओवादी सरकार का कार्य है।
राष्ट्रीय चित्रांश एकता मंच, नया टोला, मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष शैलेश कुमार कहते हैं कि हमारी विदेश नीति में आक्रमकता की कमी है। सिर्फ भावना से देश नहीं चलता है। नेपाल से अच्छे संबंध के वावजूद उसके विकास पर हमलोगों ने ध्यान नहीं दिया। हमें चीन से सीखना चाहिए कि वह कैसे किसी देश को कर्ज देकर उसे अपना उपनिवेश बना लेता है। हमलोगों को नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार को हटाकर राष्ट्रवादी सरकार बनाने में मदद करना चाहिए। धैर्य और कुटनीति से हमें अपनी नीतियों को आगे बढ़ाना चाहिए।
मनमोहन प्रसाद कहते हैं कि नक्शा विवाद भारत सरकार की ही देन है। कूटनीतिक विफलता है। जहां तक फायरिंग का मामला है तो इसमें संयम से काम लेने की जरूरत है।
रुपौली सरैया के आशीष राजपूत कहते हैं कि नेपाल को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह भारत की गोद में बैठा है। भारत नेपाल की मदद के लिए खड़ा रहता है। अगर वह चीन के बहकावे में आकर दुश्मनी मोल लेगा तो उसकी भारी कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है।
समसा, बेगूसराय के आशीष कुमार का मानना है कि नेपाल कभी भी भारत से टकराने की स्थिति में नहीं है। वह चीन की शह पर भारत विरोधी गतिविधि को अंजाम दे रहा है। भारत को नेपाल से द्विपक्षीय वार्ता करनी चाहिए। मामला सुलझ गया तो अच्छी बात है वरना ...।
ताजपुर, समस्तीपुर के मोहम्मद लुकमान कहते हैं कि नक्शा विवाद अचानक से नहीं हुआ है। कहीं न कहीं हमसे कूटनीतिक चूक हुई है। जिसका लाभ चीन उठा रहा है। समान संस्कृति और लगभग 80 प्रतिशत भारत पर आश्रित नेपाल यूं ही चीन के बहकावे में नहीं आया है। हमें पहल करते हुए नेपाल के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर मसले को हल करना चाहिए।
ऐरौत, रोसड़ा, समस्तीपुर के अमित साह कहते हैं कि नेपाल पुलिस के हाथों भारतीय नागरिक को मारा जाना दुख की बात है। भारत सरकार को बहुत ही कड़े कदम उठाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर नेपाल का मनोबल बढ़ता जाएगा। इसके बाद फिर यह चीन और पाकिस्तान की तरह व्यवहार करने लगेगा। नेपाल की सरकार को भी सोचना चाहिए उसका देश भारत पर आश्रित है। चीन के भरोसे उसका विकास संभव नहीं।
शिवतोष कुमार झा का मानना है कि नेपाल से हमारी दोस्ती पुरानी है। नेपाल थोड़े समय के लिए चीन के बहकावे में आ गया है। इसका कारण उस देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति है। वहां की जनता कभी भी भारत से दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहेगी। इसलिए भारत को थोड़ा इंतजार करना चाहिए।
पताही नारायणपुर ,मुज़फ्फरपुर के वरुण कुमार कहते हैं कि हमें सर्प्रथम नेपाल से वार्ता करनी चाहिए। जिससे सभी मसलों को सामने रखा जाए। अगर वह किसी के बहकावे में आकर यह गलत कर रहा है तो इसे निश्चित ही दंड दिया जाए।