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अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड के पास सैन्य चौकी बनाने की तैयारी

भारतीय सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में आक्रोश। सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट। नेपाल ने सेना की तैनाती को मंजूरी दी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 09:34 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 09:34 AM (IST)
अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड के पास सैन्य चौकी बनाने की तैयारी
अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड के पास सैन्य चौकी बनाने की तैयारी

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। नेपाल सरकार ने भारतीय भूमि को अपना बताने वाला नया नक्शा जारी करने के बाद अब सीमावर्ती क्षेत्रों में नेपाली सेना की तैनाती शुरू कर दी है। इसकी जानकारी भारतीय सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने दी है। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों ने भी भारत सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। इसमें रक्सौल, आदापुर, छौड़ादानो और रामगढ़वा प्रखंड क्षेत्र से जुड़े नो मेंस लैंड के आसपास नेपाली सेना की चौकी बनाने की तैयारी है।

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पहली बार सीमा पर सेना की तैनाती

नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को मंजूरी दी है। दोनों देशों के इतिहास में यह पहली बार है जब सीमा पर सेना की तैनाती होगी। सीमा पर अब तक भारत की तरफ से एसएसबी और नेपाल से सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ), जनपद पुलिस तैनात है। सुरक्षा एजेंसियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि इस चौकी का लाभ भारत विरोधी संगठनों को मिलेगा। नेपाल के ताजा निर्णय से भारतीय सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है।

खुली सीमा को बंद करने की योजना

नेपाल के भीतर प्रवेश करने के लिए खुली सीमाओं को बंद करने और सरकार द्वारा निर्धारित सीमा क्षेत्र से ही प्रवेश की अनुमति की योजना है। नेपाल और भारत के बीच 1750 किमी लंबी खुली सीमा है। अब तक भारतीय नागरिक बिना रोक-टोक आते जाते रहे हैं। ताजा फैसले से अब सिर्फ निर्धारित सीमा से ही नेपाल में प्रवेश की इजाजत मिलेगी। सूचना है कि जिस दिन नेपाल सरकार ने भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर अपना नया नक्शा जारी किया था, यह निर्णय उसी दौरान लिया गया। लेकिन, इसे एक सप्ताह तक गुप्त रखा। नेपाली कैबिनेट ने सीमा व्यवस्थापन और सुरक्षा के नाम पर भारत से लगी 20 सीमाओं को छोड़कर बाकी सभी को बंद करने का निर्णय किया है।  भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध रहा है। लेकिन, हाल के दिनों में जिस तरह की नीति नेपाल की सरकार अपना रही है उससे इससे दरार आने की आशंका है। 


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