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न मैदान, न ही अनुदान, फिर भी हॉकी में जिले ने कायम की पहचान Muzaffarpur News

2001 में पीएन मेहता हॉकी एकेडमी की स्थापना की गई उद्घाटन तत्कालीन खेल मंत्री अशोक कुमार सिंह ने किया था! पीएन मेहता हॉकी एकेडमी व एकलव्य हॉकी सेंटर खिलाडिय़ों को तराशने में जुटे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 10:05 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 10:05 AM (IST)
न मैदान, न ही अनुदान, फिर भी हॉकी में जिले ने कायम की पहचान Muzaffarpur News
न मैदान, न ही अनुदान, फिर भी हॉकी में जिले ने कायम की पहचान Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उत्तर बिहार में कहीं हॉकी जिंदा है तो सिर्फ मुजफ्फरपुर में। वह भी तब, जबकि यहां न इसके लिए समुचित मैदान है और न ही किसी प्रकार की सुविधा। विपरीत परिस्थितियों में भी पिछले एक दशक से निजी क्लब पीएन मेहता हॉकी एकेडमी एवं सरकार द्वारा संचालित एकलव्य हॉकी सेंटर राज्य के लिए न सिर्फ खिलाडिय़ों की पौध तैयार कर रहे, बल्कि उसके द्वारा तैयार खिलाड़ी राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपना लोहा मनवा चुके हैं। राज्य विभाजन के बाद हॉकी का मुख्य केंद्र रांची चला गया।

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पीएन मेहता हॉकी एकेडमी के नाम कई उपलब्धियां

प्रसन्नजीत मेहता, अनिल कुमार सिन्हा व हॉकी के एनआइएस कोच मनोज कुमार सिंह के प्रयास से 2001 में पीएन मेहता हॉकी एकेडमी की स्थापना की गई। एकेडमी का उद्घाटन तत्कालीन खेल मंत्री अशोक कुमार सिंह ने किया। उन्होंने खुदीराम बोस मैदान को हॉकी स्टेडियम में तब्दील करने की घोषणा तो की, लेकिन ऐसा हो ही नहीं सका। एकेडमी अपने बलबूते एलएस कालेज मैदान में खिलाडिय़ों को तराशना शुरू किया। पहले वर्ष सीनियर खिलाडिय़ों को फिर बाद के दिनों में 15 वर्ष से कम आयु वर्ग के खिलाडिय़ों को तराशा जाने लगा। इस दौरान बिहार सरकार की ओर से 2003 में एकेडमी को 25 हजार रुपये की सहायता देने के संबंध में एक पत्र आया, लेकिन राशि नहीं मिली। उसके बाद एकेडमी ने सरकार से मदद की उम्मीद छोड़ दी। कोच ने स्वयं राशि इकट्ठा कर जिले में हॉकी को जिंदा किया।

एकेडमी की उपलब्धियां

-सूबे में अबतक दर्जन बार ध्यानचंद अंतर जिला हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें जिले की टीम सर्वाधिक बार चैंपियन रही।

-स्कूली नेशनल में हर वर्ष जिले के सात से दस खिलाडिय़ों ने बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया।

-एकेडमी के खिलाड़ी पंकज नाथ शर्मा 2003 में सब जूनियर एशिया कप के लिए आयोजित नेशनल कैंप के लिए चुने गए।

-विश्व कप हॉकी 2006 के लिए देश में टैलेंट हंट प्रतियोगिता के माध्यम से 45 खिलाड़ी चुने गए, जिसमें एकेडमी के खिलाड़ी राहुल पांडेय भी शामिल थे।

-वर्ष 2005 में कोरबा में आयोजित ग्रामीण नेशनल प्रतियोगिता में बिहार टीम ने पहली बार अंतिम चार में प्रवेश किया। टीम में एकेडमी के छह खिलाड़ी, मो. जयनुद्दीन, कृष्ण कुमार, सूर्य नारायण शर्मा, राम सिंह, वरुण कुमार व सुनिल कुमार शामिल थे। जयनुद्दीन प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए।

-वर्ष 2005 में एकेडमी के खिलाड़ी सूर्य नाथ शर्मा का चयन एसटीसी लखनऊ के लिए हुआ। वर्तमान में वह यूपी टीम के कप्तान है।

-वर्ष 2008 में जूनियर नेशनल में बिहार टीम तीसरे स्थान पर रही। टीम में एकेडमी के खिलाड़ी राम सिंह शामिल थे।

प्रतिभा को तराश रहा एकलव्य हॉकी सेंटर

सरकार द्वारा प्रतिभाओं को तराशने के लिए यहां 2015 में एकलव्य हॉकी सेंटर की स्थापना की गई। सेंटर में तीन दर्जन खिलाडिय़ों के रहने, खाने एवं पढऩे की सुविधा उपलब्ध कराई गई। स्थापना के बाद से ही सेंटर ने परिणाम देना शुरू कर दिया। कई प्रतियोगिताओं में एकलव्य सेंटर की टीम एवं खिलाडिय़ों ने सफलता का डंका बजाया। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी पसीना बहा रहे।

कागज पर जिला हॉकी संघ, लेटर हेड पर पदाधिकारी

जिले में हॉकी संघ कागज पर चल रहा है और संघ के पदाधिकारी लेटर हेड की शोभा बने हुए हैं। जिले में हॉकी के विकास में संघ का कोई योगदान नहीं है। मैदान एवं सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर भी संघ ने कभी पहल नहीं की। मो. शोएब वर्तमान में संघ के सचिव हैं।
इस बारे में पीएन मेहता हॉकी एकेडमी के निदेशक अनिल कुमार सिन्हा ने कहा किबिहार में कही भी हॉकी का एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। मुजफ्फरपुर में तो हॉकी के लिए सामान्य मैदान भी नहीं है। बावजूद पहले एलएस कॉलेज मैदान और अब सिकंदरपुर स्टेडियम मैदान को किसी तरह तैयार कर खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग दी ।
कोच मनोज सिंह ने कहा कि उत्तर बिहार के खिलाडिय़ों में हॉकी के प्रति रुचि है। स्थानीय खिलाडिय़ों को खोज कर एकेडमी एवं राज्य के खिलाडिय़ों को एकलव्य हॉकी सेंटर प्रशिक्षित कर रहा। उन्हें कम उम्र में से ही तराश रहा है। यदि मुजफ्फरपुर में एस्ट्रोटर्फ मैदान उपलब्ध हो जाए तो यहां के खिलाड़ी देश में परचम लहराएंगे।
खिलाड़ी वैभव मिश्रा ने कहा कि एकलव्य सेंटर खिलाडिय़ों को आगे बढऩे को अवसर प्रदान कर रहा है। खिलाड़ी लगातार आगे बढ़ रहे।


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