मुजफ्फरपुर में अब ड्रेनेज के पानी का उपचार करने के बाद खेतों की सिंचाई करने की आवश्यकता
भू-जल की होगी बचत। नदी में नाले का पानी बहाने से पहले हो ट्रीटमेंट। शहर से निकलने वाले गंदा पानी का उपचार कर नदियों में प्रवाहित किया जाए तो सूख रही नदियों को राहत मिलेगी। साथ ही गंदा पानी से नदी को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।
मुजफ्फरपुर, जासं। शहरी क्षेत्र में लोगों के घरों में प्रयुक्त हजारों गैलन पानी नालियों में बहा दिया जाता है। आधा पानी नालियों से होते हुए बूढ़ी गंडक में चला जाता है और आधा फरदो नाला से होते ही ग्रामीण इलाके में। इस तरह जमीन से निकाला गया हजारों गैलन पानी बेकार चला जाता है। यदि लोगों के घरों से निकलने वाले पानी का उपचार कर दिया जाए तो इसका उपयोग सिंचाई कार्य में किया जा सकता है। इससे सिंचाई के लिए भू-जल के संचित भंडार का दोहन कम होगा। शहर से निकलने वाले गंदा पानी का उपचार कर नदियों में प्रवाहित किया जाए तो सूख रही नदियों को राहत मिलेगी। साथ ही गंदा पानी से नदी को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।
दैनिक जागरण ने सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत सोमवार को शहरवासियों से बातचीत की तो यह बात सामने आई। पूर्व उपमहापौर विवेक कुमार ने कहा कि लोगों के घरों से निकलने वाले गंदा पानी का उपचार कर इसे उपयोग लायक बनाया जा सकता है। नगर निगम को चाहिए कि सभी आउटलेट के पास वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर नाले के पानी को उपचारित करे और उसे नदी या नहर में प्रवाहित करे ताकि इसका उपयोग सिंचाई या औद्योगिक क्षेत्र में पानी की जरूरतों को पूरा करने में किया जा सके। इससे कृषि कार्य या औद्योगिक जरूरतों के लिए पानी का दोहन नहीं करना पड़ेगा। किसान उमेश कुमार ङ्क्षसह ने कहा कि यदि नाले का पानी का उपचार कर खेतों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए तो किसी को परेशानी नहीं होगी, लेकिन अभी नाला का पानी सीधे बहा दिया जाता है। इससे आसपास इलाका बेकार हो जाता है। अखाड़ाघाट निवासी प्रवीण कुमार ने कहा कि शहर से निकलने वाला गंदा पानी आधा दर्जन स्लूस गेट की मदद से नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे नदी भी प्रदूषित हो रही। यदि इसी पानी का उपचार कर नदी में छोड़ा जाए तो नदी का नुकसान नहीं होगा और पानी का उपयोग भी हो जाएगा।