मां भगवती की उपासना के लिए बेहद खास नवरात्र, हिन्दू नवसंवत्सर 2076 भी आज से शुरू
वासंतिक नवरात्र आज से। कहा गया है कि नवरात्र में साधकों की साधना का फल व्यर्थ नहीं जाता है। नवरात्र में साधक अपनी विविध कामनाओं को लेकर व्रत और उपवास रखते हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चैत्र नवरात्र को वासंतिक नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। यह शक्ति की अधिष्ठात्री मां भगवती की उपासना के लिए बेहद खास है। कहा गया है कि नवरात्र में साधकों की साधना का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्र 6 अप्रैल, शनिवार से शुरू हो रहा है। इस दिन गुड़ी पड़वा और हिन्दू नवसंवत्सर 2076 भी शुरू होगा।
नवरात्र में साधक अपनी विविध कामनाओं को लेकर व्रत और उपवास रखते हैं। पंडितों के मुताबिक, यदि साधक सक्षम हों तो पूरे नौ दिन भी व्रत रख सकते हैं और असमर्थ रहने की स्थिति में दो दिन भी कर सकते हैं। जो लोग नौ दिन व्रत रखते हैं, उन्हें दशमी के दिन पारण करना चाहिए। व्रत के दौरान जल और फल का सेवन कर सकते हैं। ज्यादा तले व भुने हुए आहार ग्रहण नहीं करें।
पहले दिन करेंगे मां शैलपुत्री की पूजा
क्लब रोड स्थित मां राज राजेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी डॉ.धर्मेन्द्र तिवारी बताते हैं कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना का विधान है। इनकी पूजा से सूर्य-संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इन्हें गाय के शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से अच्छा स्वास्थ्य और मान-सम्मान मिलता है।
कन्या पूजन से प्रसन्न होंगी माता
ज्योतिषविद् विमल कुमार लाभ बताते हैं कि नवरात्र में माता को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन का विधान सबसे सरल व श्रेष्ठ बताया गया है। अष्टमी व नवमीं तिथि के दिन किया गया कन्या-पूजन मनोकामनापूर्ति एवं सूनी गोद भरने वाला कहा जाता है। नवरात्र में तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप बताया जाता है। छल और कपट से दूर ये कन्याएं पवित्र बताई जाती हैं। कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता धरती पर आती हैं तो इन्हीं कन्याओं में विराजती हैं।
व्रत रख करें नित्य पूजन
रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र बताते हैं कि नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों में नियमित रूप से पूजा-पाठ और व्रत का पालन करना चाहिए। साथ ही नौ दिनों तक मां का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ व अखंड ज्योति की सेवा करनी चाहिए। इससे निरोगी काया, स्वास्थ्य लाभ व एकाग्रता के साथ मन की शांति मिलती है।
मनोकामना पूर्ति को करें साधना
उमेश नगर, जीरोमाइल के ज्योतिषविद् नीरज बाबू बताते हैं कि नवरात्र में बीज मंत्र, दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। साथ ही तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह उपयुक्त समय है। गृहस्थ व्यक्ति इन दिनों में मां की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत कर सकते हैं।