National Girl Child Day : मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से बेटियों का हो रहा कल्याण
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में जन्म से लेकर दो वर्ष तक की बेटियों को दो हजार रुपये दिए जा रहे हैं। बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने को सरकार चला रही कई कल्याणकारी योजनाएं। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान कन्या विवाह से मिल रही सरकारी मदद।
मुजफ्फरपुर, जासं। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार उन्हें आर्थिक मदद दे रही है। उनके जन्म से लेकर पठन-पाठन व शादी तक में सरकार आर्थिक मदद कर रही है। शादी के बाद मातृ वंदना योजना के तहत भी उन्हें मदद दी जा रही है। कल्याणकारी योजनाएं आर्थिक रूप से कमजोर बेटियों को आगे बढऩे में प्रोत्साहित कर रही हैं। कन्या उत्थान, मुख्यमंत्री कन्या विवाह समेत कई कल्याणकारी योजनाओं से जिले की हजारों बेटियां लाभान्वित हो रही हैं। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में जन्म से लेकर दो वर्ष तक की बेटियों को दो हजार रुपये दिए जा रहे हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों में करीब 2080 बेटियों को योजना का लाभ मिला। विवाह के बाद बेटियों को कन्या विवाह योजना की राशि मिल रही है। गरीब परिवार की बेटियों को शादी के बाद आर्थिक सहायता की जा रही है। जिले में अबतक 49 हजार 732 बेटियां इससे लाभान्वित हुई हैं। अन्य को लाभ देने की कवायद तेज है। योजना की राशि के लिए विभिन्न प्रखंडों में करीब 57 हजार 514 बेटियों ने आवेदन दिए।
मातृ वंदना योजना में हजारों को मिल रहा लाभ
मातृ वंदना योजना के तहत जिले में 23 हजार से अधिक को आर्थिक लाभ मिल रहा है। विभिन्न प्रखंडों में एक लाख से अधिक आवेदन आए। इसमें 23 हजार 544 आवेदकों को योजना का लाभ मिला। संस्थागत प्रसव में वृद्धि व गर्भवती को विशेष सुविधा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत पहली बार मां बनने पर 5000 रुपये की सहायक धनराशि दी जाती है। यह राशि गर्भवती के खाते में जाती है। इसे तीन किस्तों में दिया जाता है। पहली किस्त 1000 रुपये की तब दी जाती है जब गर्भवती अपना पंजीकरण कराती है। दूसरी किस्त में 2000 रुपये गर्भवती को छह माह के बाद प्रसव पूर्व जांच के बाद दी जाती है। तीसरी और अंतिम किस्त में 2000 रुपये बच्चे के जन्म पंजीकरण के बाद एवं प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद दी जाती है।
बेटियों से घर गुलजार कर रहे निसंतान दंपती
एक समय था जब लोग बेटों को अधिक महत्व देते थे। धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलने लगी है। गोद लेने में निसंतान दंपती बेटियों को तरजीह देने लगे हैं। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में रहने वाली अनाथ बेटियों को अपना कर घर-संसार गुलजार कर रहे हैं। कानूनी जटिलता को पार करके वे बेटी को गोद ले रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि खबरा स्थित दत्तक ग्रहण संस्थान से अधिकतर लोगों ने बेटियों को गोद लिया है। देश के विभिन्न राज्यों के दंपती अब तक 21 बच्चों को गोद ले चुके हैं। इसमें 12 लोगों ने बेटी को प्राथमिकता दी। इनमें कई दंपती ऐसे हैं जो निसंतान हैं तो कई ने अपना पुत्र होने के बाद भी बेटी को गोद लिया।