नमो देव्यै महा देव्यै: लॉकडाउन में टीकाकरण व गर्भवती की जांच में जुटी रहीं मुजफ्फरपुर की एएनएम किरण
खुद के पैसे खर्च कर किराये की गाड़ी से जाती थीं संस्थागत प्रसव में दिया महत्वपूर्ण योगदान। स्वास्थ्य सेवा में 31 वर्ष समर्पित कर चुकीं किरण हर रोज कोरोना से जंग लड़ते हुए नई ऊर्जा से काम करती हैं। संक्रमण की काली बदली के बीच वे इंद्रधनुषी छटा बिखेरती रहीं।
मुजफ्फरपुर, [अजय पांडेय]। कोरोना योद्धा के रूप में कर्तव्यपथ पर अग्रसर। लॉकडाउन से लेकर टीकाकरण तक के दौर में तत्पर और मुस्तैद। स्वास्थ्य सेवा में 31 वर्ष समॢपत कर चुकीं किरण हर रोज कोरोना से जंग लड़ते हुए नई ऊर्जा से काम करती हैं। पिछले साल देश में संक्रमण की काली बदली के बीच वे 'इंद्रधनुषी' छटा बिखेरती रहीं। यह क्रम अब भी जारी है। बैरिया कोल्हुआ पैगंबरपुर की एएनएम किरण कुमारी लॉकडाउन के दौर में नियमित टीकाकरण, एईएस और गर्भवती की देखभाल के लिए हर रोज घर से निकलती थीं। खुद के पैसे खर्च कर किराये की गाड़ी से गांवों में जाती थीं। उस दौरान उनके काफी पैसे भी खर्च हो गए, लेकिन उन्होंने किराये की गाड़ी को लोगों के जीवन से महंगा नहीं समझा।
गांव-गांव जाकर किया टीकाकरण
लॉकडाउन के दौरान टीकाकरण व प्रसव को लेकर चुनौती थी। लोग सरकारी अस्पतालों में आना नहीं चाहते थे। ऐसे में उन्होंने गांव-गांव जाकर यह काम करने का निर्णय लिया। निजी स्तर पर किराये की गाड़ी कर गईं। एक दिन में एक गांव का दौरा होता था। गाड़ी पर प्रतिदिन 500 रुपये खर्च होते थे। लॉकडाउन के दौरान उनके प्रोत्साहन से 20 संस्थागत प्रसव कराए गए थे। उस दौरान उन्होंने नियमित रूप से 12 से 14 घंटे काम किया।
संभाल रहीं टीकाकरण अभियान की जिम्मेदारी : पिछले साल उनके पोषण क्षेत्र से दो लोग कोरोना पॉजिटिव हुए थे, अब वे सामान्य जीवन जी रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में भी वे टीकाकरण योद्धा के रूप में तैनात हैं। हर रोज 100 से अधिक लोगों के टीकाकरण में सहयोग कर रहीं। किरण बताती हैं कि पैगंबरपुर पंचायत स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र में 2016 में योगदान किया था। उस वक्त वहां टीकाकरण का आंकड़ा 50 फीसद और संस्थागत प्रसव 60 फीसद था। उनके प्रयास से ग्राफ क्रमश: 80 और 95 पर पहुंच गया है। केयर संस्था के ब्लॉक प्रबंधक पीयूष कुमार कहते हैं कि पिछले साल राज्य के कुछ प्रतिनिधि पैगंबरपुर पहुंचे थे। वहां की रिपोर्ट उत्साहजनक मिली थी।