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Nainital Landslide: अभी आंख लगी ही थी... और टूटकर गिर गया पहाड़

18 अक्टूबर की शाम सभी खाना खाकर सो गए। अगले दिन सुबह 430 बजे अचानक कुछ सरकने का एहसास हुआ अभी हम कुछ समझ पाते इससे पहले एक बड़ी सी दीवार जैसी कोई वस्तु झु़ग्गी पर आग गिरी। इसके बाद तो शेष रह गया मलबा और गरजते बादलों का शोर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:18 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:18 AM (IST)
Nainital Landslide: अभी आंख लगी ही थी... और टूटकर गिर गया पहाड़
नैनीताल हादसे में बचे पश्चिम चंपारण के कारी राम ने सुनाई उस दिन की दर्दनाक कहानी। फोटो- जागरण

बेतिया (पश्चिम चंपारण), जासं। नैनीताल का दोषापानी मुक्तेश्वर गांव। लगातार बारिश हो रही थी। एक झुग्गीनुमा कमरे में पश्चिम चंपारण जिले के साठी के बेलवा एवं योगापट्टी के चार और उत्तर प्रदेश के दो मजदूर थे। 18 अक्टूबर की शाम सभी खाना खाकर सो गए। अगले दिन सुबह 4:30 बजे अचानक कुछ सरकने का एहसास हुआ, अभी हम कुछ समझ पाते, इससे पहले एक बड़ी सी दीवार जैसी कोई वस्तु झु़ग्गी पर आग गिरी... किसी के चीखने-पुकारने तक का मौका नहीं मिला...शेष रह गया मलबा और गरजते बादलों का शोर। यह कहते हुए साठी के बेलवा निवासी कारी राम भावुक हो जाते हैं।

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सिर बाहर रहने से बच गया कारी जहां यह घटना हुई, वहां से करीब 50 फीट ऊंचे पहाड़ पर बने मकान में आठ मजदूरों के साथ यहीं के नेहाल अहमद रहते थे। वहां भवन निर्माण की ठीकेदारी करते थे। सभी मजदूर उन्हीं के माध्यम से गए थे। नेहाल बताते हैं कि घटना की रात मजदूरों से बात हुई थी। पहाड़ गिरने की सूचना उन्हें मिली तो योगापट्टी के जुमराती को फोन किया, मोबाइल बंद था। वे पहाड़ से उतरकर मौके पर पहुंचे। वहां की स्थिति देख कलेजा कांप उठा। झुग्गी मलबे में तब्दील थी। फोन करने पर पुलिस आधे घंटे में पहुंच गई। मलबा हटाने का काम शुरू हुआ। इस दौरान सुबह के छह बज गए थे। सबसे पहले मलबे में दबा बेलवा के शंभु राम का पुत्र कारी राम (20) मिला। उसका पूरा शरीर कीचड़ में दबा था, लेकिन सिर बाहर था। उसकी सांसें चल रही थीं। उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। दो घंटे की मशक्कत के बाद एक-एक कर पांच शव निकाले गए। इनमें बेलवा के धीरज कुमार कुशवाहा, इम्तियाज मियां एवं योगापट्टी मच्छगांवा के जुमराती मियां थे। मृतकों में दो अन्य उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर के हरेंद्र कुमार व विनोद कुमार भी थे।

घर वालों को फोन करने में कांप रहे थे हाथ

पांच साथियों की मौत से आहत नेहाल को समझ नहीं आ रहा था क्या करें? घरवालों को फोन करने में हाथ कांप रहे थे। पुलिस पांचों शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले गई थी। इधर, कारी अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा था। उसे करीब 10 घंटे बाद होश आया था।

पांच साथियों को खो देना कारी के लिए असहनीय है। उसकी कमर में गंभीर चोट है। चल-फिर नहीं सकता। वह बताता है कि अस्पताल में इलाज की बेहतर व्यवस्था थी। कंपाउंडर बता रहा था कि मेरे इलाज के लिए बिहार से किसी अधिकारी का फोन आया था। तुम बहुत भाग्यशाली हो, जो बच गए।

प्रशासन का मिला अच्छा सहयोग

नेहाल बताते हैं कि वहां के प्रशासन का काफी सहयोग मिला। चिकित्सकों ने हल्द्वानी में शवों का पोस्टमार्टम किया। वहां से शवों को दिल्ली लाया गया। साथ में घायल कारी राम व ठीकेदार नेहाल अहमद भी थे। सरकारी खर्चे से विमान से पटना भेजा गया। वहां पहले से एंबुलेंस लेकर अधिकारी मौजूद थे और शवों को घर पहुंचाया गया।


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