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राष्ट्रीय फलक पर फिर चमक बिखेर रही मुजफ्फरपुर की खादी, जानें कैसे हासिल किया गौरव Muzaffarpur News

जम्मू-कश्मीर समेत कई प्रदेशों में मुजफ्फरपुर की सूती खादी लोकप्रिय। इसके बदले कश्मीर व हरियाणा से मिलता ऊनी वस्त्र अन्य प्रदेशों से ली जाती है खादी ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 02:58 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 02:58 PM (IST)
राष्ट्रीय फलक पर फिर चमक बिखेर रही मुजफ्फरपुर की खादी, जानें कैसे हासिल किया गौरव Muzaffarpur News
राष्ट्रीय फलक पर फिर चमक बिखेर रही मुजफ्फरपुर की खादी, जानें कैसे हासिल किया गौरव Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर,[संजय कुमार उपाध्याय]। लंबे वक्त तक तंगहाल रहा मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग संघ एक बार फिर वस्त्र उत्पादन के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम करने में कामयाब हो रहा है। यहां की खादी जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु और केरल में पसंद की जा रही है।

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  मुजफ्फरपुर की सूती खादी मानक संस्था से संबद्ध संस्थानों को दी जा रही है। बदले में संबंधित प्रदेशों में उत्पादित वस्त्र लिए जा रहे हैं। खादी के बदले जम्मू, हरियाणा व राजस्थान से ऊनी कपड़े यहां लाए जाते हैं। ओडिशा, तमिलनाडु और केरल से संघ वस्त्र के बदले पैसे लेता है। शेष प्रदेशों से खादी वस्त्र लिए जा रहे हैं।

संस्था के मंत्री कमलेश कुमार बताते हैं-1990 से लेकर 2006 तक संसाधन व पूंजी की कमी के कारण उत्पादन घटने लगा था। लेकिन, 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खादी की स्थिति को सुधारने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए।

 1990 से 2006 के बीच खादी वस्त्र पर दी गई छूट की राशि (51 लाख) वापस मिली। इसी के साथ 2017-18 में सरकार से क्रियाशील पूंजी (करीब 34 लाख) मिली। इस दिशा में लगातार काम चल रहा है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने 75 चरखा, 10 लूम (करघा) और केंद्र ने 20 चरखा और 04 लूम के साथ 8 लाख का कच्चा माल उपलब्ध कराया। नए संयंत्रों की बदौलत उत्पादन में और वृद्धि होगी। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 40 से 45 लाख के कपड़े का उत्पादन हुआ, जो 2018-19 में बढ़कर 90 लाख हो गया।

त्रिपुरारि मॉडल चरखा ने काम को किया आसान

बिहार खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के जिला खादी ग्रामोद्योग पदाधिकारी रिजवान अहमद बताते हैं कि त्रिपुरारि मॉडल चरखा उत्पादन बढ़ाने में सहायक है। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व खादी आंदोलन के प्रणेता रहे त्रिपुरारि शरण ने इस चरखा का ईजाद किया था। इस चरखे से एक साथ कई तरह का धागा तैयार किया जा सकता है। इस संयंत्र के बूते मांग के अनुरूप धागे तैयार किए जा सकते हैं।

 इस बारे में खादी ग्रामोद्योग संघ, मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने कहा कि खादी की हालत 1990 से लेकर 2006 तक खराब रही है। अब सूबे की सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है। क्रियाशील पूंजी व संसाधन मिलने के बाद उत्पादन बढ़ा है। इसे लगातार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।


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