मु़जफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिले में तापमान में गिरावट का क्रम जारी है। सुबह में कुहासा व कनकनी का असर दिख रहा है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 25.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह सामान्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं न्यूनतम तापमान 11.0 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सामान्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस कम रहा। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार अगले पांच दिन यानी 14 दिसम्बर तक उत्तर बिहार के जिलों में आसमान प्रायः साफ रहेगा। मौसम के शुष्क ही रहने की संभावना है।
पूर्वानुमानित अवधि में अधिकतम तापमान यथावत रहने का अनुमान है। यह 25-26 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। इस अवधि में रात के तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है। सुबह में हल्का कुहासा रहेगा। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 5-7 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मुख्य रूप से पछुआ हवा चलने की संभावना है। तराई के कुछ जिलों जैसे सीतामढ़ी, शिवहर एवं पूर्वी चम्पारण में 10-11 दिसंबर को पूरबा हवा भी चल सकती है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 40 से 50 प्रतिशत रहने की संभावना है।
किसानों के लिए सुझाव
- गेहूं की फसल यदि 21-25 दिनों की हो गई हो तो हल्की सिंचाई करें। उसके 1-2 दिनों के बाद प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें। गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु क्लोरपायरीफास 20 ई0 सी0 2 लीटर प्रति एकड़ 20-25 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में सिंचाई से पहले छिड़क दें।
- गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण की सबसे उपयुक्त अवस्था बोआई के 30 से 35 दिनों बाद होती है। इसमें उगने वाले सभी प्रकार के खरपतवार के नियंत्रण हेतु पहली सिंचाई के बाद सल्फोसल्फ्युरान 33 ग्राम प्रति हेक्टर एवं मेटसल्फयुरान 20 ग्राम प्रति हेक्टयर 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें। ध्यान रहें छिड़काव के वक्त खेत में प्रयाप्त नमी हो।
- चना की बुआई अतिशीघ्र सम्पन्न करने का प्रयास करें। आलू की फसल में निकौनी करें। इसके बाद नेत्रजन उर्वरक का उपरिवेशन कर आलू में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। आलू में कीट व्याधि की निगरानी करें।
- लहसुन की फसल में निकाई-गुराई करें तथा कम अवधि के अन्तराल में नियमित रूप से सिंचाई करें। लहसुन की फसल में कीट व्याधि की निगरानी करें।
- पशुओं को रात में खुले स्थान पर नहीं रखें। बिछावन के लिए सूखी घास या राख का उपयोग करें। दूधारु पशुओं को हरे एवं शुष्क चारे के मिश्रण के साथ नियमित रूप से दाने एवं कैल्सियम खिलाएं।