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Muzaffarpur News: कोविड मरीजों व उनके स्वजनों को मनोवैज्ञानिक सहयोग की जरूरत, गाइडलाइन जारी

Muzaffarpur News इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने जारी की गाइडलाइन स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह आवश्यक है कि वह कोविड मरीजों के इलाज के दौरान अधिक संवेदनशील रहें। कोरोना संक्रमण से बचाव के ल‍िए टीकाकरण जरूरी है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 06:25 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 06:25 AM (IST)
Muzaffarpur News: कोविड मरीजों व उनके स्वजनों को मनोवैज्ञानिक सहयोग की जरूरत, गाइडलाइन जारी
कोरोना संक्रमण से बचाव के ल‍िए गाइडलाइन का पालन जरूरी है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुजफ्फरपुर, जासं। कोविड मरीजों एवं उनके स्वजनों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना काफी महत्वपूर्ण है। इसको लेकर इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने गाइडलाइन जारी कर आवश्यक जानकारी दी है। गाइडलाइन में विशेष रूप से कोविड मरीजों के इलाज के दौरान मरीजों एवं उनके स्वजनों को चिकित्सकों द्वारा मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने की बात कही गई है।

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गाइडलाइन में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मियों के लिए यह आवश्यक है कि वह कोविड मरीजों के इलाज के दौरान अधिक संवेदनशील रहें। खासकर उस समय यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब कोविड-19 संक्रमण से किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु हो गई हो। ऐसी परिस्थिति में मनोवैज्ञानिक तरीके से रोगी के स्वजनों का सहयोग करना आवश्यक हो जाता है।

गाइडलाइन के अनुसार कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के बारे में परिवार के सदस्यों को जानकारी देने से पहले सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। ऐसे में मृत व्यक्ति के स्वजनों को अधिक मनोवैज्ञानिक सहायता की जरूरत होती है। गाइडलाइन में सबसे पहले रोगी के दुख महसूस करने की क्षमता का होना आवश्यक माना गया है। दूसरी आवश्यक बात रोगी के बारे में ईमानदार होने की कही गई है। मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आवश्यक है कि वह अपनी भावनाओं को ईमानदारी पूर्वक रोगी के स्वजनों के सामने लाएं।

सिविल सर्जन ने नए कपड़े मंगवाकर कर बच्चों को पहनाया

सिविल सर्जन विनय कुमार शर्मा ने मंगलवार को सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान भर्ती तीन बच्चों के पास पहनने को कपड़ा नहीं होने पर उन्होंने नया कपड़ा मंगाकर उन्हें पहनाया। सीएस ने कहा कि इस पोषण माह में जन-जागरूकता के कार्य किए जाने हैं। इसके तहत पोषण वाटिका लगाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। योगा और आयुष पोषण किट का वितरण किया जाएगा। अतिकुपोषित बच्चों की पहचान कर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाना है। बच्चों को मां का दूध पिलाने के लिए जागरूक किया जाना है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दर को कम करने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही बीमार अतिकुपोषित बच्चों के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां माता के साथ ही 12 वर्ष से कम उम्र के बीमार कुपोषित बच्चों की भर्ती कर उपचार किया जा रहा हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में सूचीबद्ध कुपोषित बच्चों को केंद्र पहुंचा कर इलाज किया जाएगा और उसका फालोअप भी होगा।


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