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Muzaffarpur News: एलआइसी में करोड़ों का गबन करने वाले अधिकारी का पार्टनरशिप में चल रहा व्यापार

सतीश मूल रूप से मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। बैरिया इलाके में उसका घर है। वर्ष 1992 से लेकर 2014 तक मुजफ्फरपुर मंडल के क्षेत्र में रहा तैनात। सीबीआइ जांच की बात सामने आने के बाद सहयोगियों के छूट रहे पसीने।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 10:53 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 10:53 AM (IST)
Muzaffarpur News: एलआइसी में करोड़ों का गबन करने वाले अधिकारी का पार्टनरशिप में चल रहा व्यापार
सतीश 1992 से लेकर 2014 तक मुजफ्फरपुर मंडल क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न कार्यालयों में तैनात रहा है।

मुजफ्फरपुर, [संजीव कुमार]। एलआइसी में बीमा दावा भुगतान की आड़ में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में घिरे सहायक प्रशासनिक अधिकारी सतीश कुमार नौकरी के साथ-साथ पार्टनरशिप में व्यापार भी कर रहा है। एलआइसी के घोटाले में उसके साथ और कई सहयोगी भी हैं। अब मामले में सीबीआइ जांच की प्रक्रिया चल रही है। इसलिए उसके सहयोगी बने मुजफ्फरपुर मंडल क्षेत्र के अंतर्गत कार्यालयों में तैनात कर्मियों के पसीने भी छूट रहे हैं। बता दें कि सतीश मूल रूप से मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। बैरिया इलाके में उसका घर है। बैरिया में ही एक कारोबारी के साथ मिलकर पार्टनरशिप में उसका टेंट हाउस सहित कई अन्य तरह के व्यवसाय भी चलते हैं। जानकारों की मानें तो कई जगहों पर जमीन , फ्लैट आदि अचल संपत्ति वह अर्जित कर चुका है।

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क्लर्क से साहब तक का सफर

एलआइसी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सतीश 1992 से लेकर 2014 तक मुजफ्फरपुर मंडल क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न कार्यालयों में तैनात रहा है । नौकरी की शुरुआत उसने क्लर्क सह कैशियर के रूप में की थी । इसके बाद पदोन्नति लेकर सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पहुंच चुकाहै । कहा जा रहा कि करीब दो दशक तक इस मंडल क्षेत्र में रहने के बाद उसका तबादला पटना मंडल में कर दिया गया था ।

कानपुर में तैनाती के दौरान खुला राज

इसी दौरान वह गोपालगंज एलआइसी कार्यालय में तैनात रहा। इसके बाद पदोन्नति मिलने के बाद इन दिनों उसकी तैनाती कानपुर में हो गई है । इसके बाद घोटाले का राज खुला। कर्मियों का कहना है कि विवादों से उसका पुराना नाता रहा है। अब जब मामला प्रकाश में आया है तो अधिकारी से लेकर कर्मी हरकत में आ गए हैं। जांच की जद में मुजफ्फरपुर की शाखा भी है । इसलिए घोटाले के इस खेल में शामिल कर्मियों के पसीने छूटने लगे हैं ।  


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