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Muzaffarpur Nagar Nigam: बैकफुट पर आए पहलवान तो महकमे में सीजफायर

जनता एवं सरकार के पहलवान के बीच चल रही ताकत की लड़ाई फिलहाल थम गई है। दोनों बैकफुट पर हैं। सीजफायर कितने दिन रहेगा कहा नहीं जा सकता क्योंकि सबसे ताकतवर पहलवान कौन है इसका फैसला नहीं हो पाया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 11:44 AM (IST)
Muzaffarpur Nagar Nigam: बैकफुट पर आए पहलवान तो महकमे में सीजफायर
शहर का सफाई महकमा पिछले चार साल से अखाड़ा बना हुआ है।

मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। सफाई महकमे में सीजफायर हो गया है। जनता एवं सरकार के पहलवान के बीच चल रही ताकत की लड़ाई फिलहाल थम गई है। दोनों बैकफुट पर हैं। सीजफायर कितने दिन रहेगा, कहा नहीं जा सकता, क्योंकि सबसे ताकतवर पहलवान कौन है, इसका फैसला नहीं हो पाया है। चार साल में जो फैसला नहीं हो पाया वह अगले एक साल में हो जाएगा, कहा नहीं जा सकता। जी हां, शहर का सफाई महकमा पिछले चार साल से अखाड़ा बना हुआ है। एक तरफ जनता के चुने हुए पहलवान हैं तो दूसरी तरफ सरकार द्वारा नियुक्त पहलवान। जनता के पहलवान पर बड़ी जिम्मेदारी है। महकमे के कानून ने उनको बहुत ताकत दी है, लेकिन हमेशा उनकी ताकत को चुनौती दी जाती है, जिससे वे नाराज हो जाते हैं। सरकारी पहलवान उनकी ताकत को अपनी ताकत बताते हैं जिससे महकमे में अखाड़ा सज जाता है और दोनों पहलवान आमने-सामने आ जाते हैं।

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विकास कार्यों की चौकीदारी

स्मार्ट सिटी में विकास की चौकीदारी हो रही है। यह चौकीदारी शहर की राजनीति के दो ङ्क्षकगमेकर कर रहे हैं। शहर में जारी विकास कार्य वर्तमान चौकीदार को तोहफा में मिला है जबकि यह पूर्व चौकीदार की मेहनत का फल है। इन कार्यों के लिए पूर्व चौकीदार ने काफी मेहनत की थी। किस्मत देखिए समय पर मेहनत का फल नहीं मिला और उनकी चौकीदारी चली गई। उनकी जगह अब नए चौकीदार आ गए हैं। शहर में जहां भी काम हो रहा है, नए चौकीदार वहां पहुंच जा रहे हैं ताकि शहरवासी उनकी चौकीदारी की दाद दे सकें। पूर्व चौकीदार भी पीछे नहीं हैं। आखिर वे अपनी मेहनत का फल नए चौकीदार को कैसे खाने दे सकते हैं। इसलिए वे भी चल रहे कार्यों की लगातार चौकीदारी कर रहे हैं। हालांकि शहरवासियों को सब पता है।

जिला अस्पताल में छिपा है एक जिन्न

जिला अस्पताल में कोरोना से भी खतरनाक एक जिन्न छिपा है, जो सिर्फ नोट खाता है। बस मौका मिलना चाहिए। इसकी तलाश में प्रशासनिक महकमा लगा है लेकिन हाथ नहीं आ रहा। जिन्न जिस चिराग से निकलता है उसकी तलाश भी हो रही, लेकिन वह हाथ नहीं आ रहा। इस जिन्न का जन्म कोरोना माई की कृपा से हुआ है। कोरोना माई की पहचान के लिए सरकार ने जो सामग्री जिला अस्पताल को भेजी जिन्न ने उसे गायब कर दिया और जमकर माल बनाया। जिन्न ने अब नया कारामात किया है। कोरोना माई से मुक्ति के लिए जिला अस्पताल में योद्धा की बहाली की गई है। जिन्न ने मौका देखकर यहां भी पैसा बना लिया। अब उसका भेद खुल गया। प्रशासनिक महकमा फिर से सक्रिय है। जिन्न का पिछला कारनामा अभी पकड़ में आया भी नहीं कि अब नया खेल सामने है। देखना है कि जिन्न और उसे ङ्क्षजदा करने वाले चिराग का पता लग पता है या नहीं।

नेताजी का अस्पताल दर्शन

लाकडाउन समाप्त हो गया है। इसके साथ ही जनता कोरोना माई की मार भूल बाजार की ओर दौड़ पड़ी है। कोरोना के साथ-साथ कानून के भय से घरों में दुबके नेता भी राजनीति चमकाने निकल पड़े हैं। ऐसे ही एक नेताजी का अस्पताल दर्शन चर्चा में है। नेताजी पूरे बिहार की राजनीति करते है। बड़े दल के लाडले हैं। चिकित्सा महकमे के मालिक रह चुके हैं। लाकडाउन समाप्त होते ही उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल का दर्शन करने पहुंच गए। अकेले आते तो ठीक था लेकिन बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ दर्शन को पहुंच गए। पांच-दस मिनट नहीं पूरे सवा घंटे अस्पताल का दर्शन किया। वे अस्पताल का दर्शन करने आए थे, इससे कोई नुकसान नहीं था लेकिन नेताजी के दर्शन को जुटे लोग परेशानी का कारण बन गए। सबने नेताजी के साथ पूरे अस्पताल की परिक्रमा की, प्रोटोकाल गुम हो गया।  


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