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मुजफ्फरपुर नगर निगम चुनाव : महारथियों के व्यूह में लगी सेंध, अब जातीय संगठन सक्रिय

शहर की राजनीति के पांच केंद्र बनते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर माहिर राजनीतिज्ञों को मात देने के लिए विभिन्न जातीय संगठनों की गोलबंदी भी शुरू हो गई है। यही वजह है कि अभी तक नामांकन की संख्या अपेक्षा से बहुत कम देखने को मिल रहा है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 06:50 AM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 06:50 AM (IST)
मुजफ्फरपुर नगर निगम चुनाव : महारथियों के व्यूह में लगी सेंध, अब जातीय संगठन सक्रिय
पूरे दिन बैठकाें का दौर चल रहा है। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। नगर निगम चुनाव की डुगडुगी बजने के साथ वार्डों में हलचल तेज हो गई है। जंग गली-मुहल्लों में छिड़ी है, लेकिन इसके ताप ने शहर की राजनीति की तासीर को गर्म कर दिया है। कहने को चुनाव दलीय नहीं है, मगर अखाड़े के बाहर दलीय महारथियों के बीच बिछी बिसात से मामला रोचक होता जा रहा है।

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प्रत्याशियों के चयन में खपा रहे सिर

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि चुनाव की तिथि जैसे-जैसे करीब आएगी, चुनावी जंग अघोषित रूप से दलीय रूप में ढलने लगेगी। फिलहाल, पूरा खेल पर्दे के पीछे चल रहा है। मेयर व उपमेयर के उम्मीदवारों के अलावा विभिन्न वार्डों में कुशल और विश्वासी प्रत्याशियों के चयन में कई वर्तमान, निवर्तमान विधायक, विधान पार्षदों से लेकर निगम व दलों के दिग्गज माथा खपा रहे हैं। माहिर राजनीतिज्ञों को मात देने के लिए विभिन्न जातीय संगठनों ने गोलबंदी शुरू कर दी है। व्यूह में सेंध लगाने के लिए बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है।

वेट एंड वाच की नीति

बताया जा रहा है कि वार्ड में जातीय गणित के हिसाब से अलग-अलग जातीय संगठन अपने प्रत्याशी खड़े करने की जुगत में हैं। उनके प्रत्याशी को समर्थन मिले, इसके लिए संगठनों के नेता महारथियों से तोल-मोल कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि संगठनों के अघोषित प्रत्याशी के समर्थन के बदले संबंधित जातीय संगठन दिग्गजों के प्रत्याशियों को अन्य वार्डों में अपनी जाति का समर्थन दिलाने का भरोसा दिला रहे हैं। बहरहाल, किसे कितनी सफलता मिलेगी यह तस्वीर आने वाले दिनों में साफ हो जाएगी, लेकिन फिलवक्त इसी वजह से अधिकतर भागों में तेजी से प्रत्याशियों के नाम सामने नहीं आ रहे हैं। नामांकन की रफ्तार कम होने के पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है। वेट एंड वाच की नीति पर सारे काम हो रहे हैं।

पांच खेमे में बंटी शहर की राजनीति

राजनीतिक दिग्गजों की बात करें तो वर्तमान राजनीति फिलहाल पांच खेमे में बंटी है, लेकिन मुकाबला नगर विधायक विजेंद्र चौधरी एवं पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा खेमे के बीच है। इसलिए सबसे अधिक उम्मीदवारों की भीड़ यहीं लग रही है। इसके अलावा भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार, एमएलसी दिनेश सिंह व आक्सीजन बाबा अविनाश तिरंगा का खेमा भी चुनाव को रोचक बना रहा है। सभी खेमे प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मोहर लगाने में जुटे हैं।  


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